गुरुवार, 3 दिसंबर 2009

कविता - इस शहर का नाम भोपाल है....

इस शहर का नाम भोपाल है....

प्रमोद ताम्बट 

भोपाल है भोपाल है
इस शहर का नाम भोपाल है।


सोई पड़ी थी नींद में गहरी दुनिया सारी
क़ातिल गैस ने भोली-भाली जनता मारी,
जनता मारी, जनता मारी
किसने बिछाया जाल रे,
भोपाल है भोपाल है
इस शहर का नाम भोपाल है।


इस भोपाल शहर की सुन लो हम से कहानी
भोगा जिन्होंने भुगता जिन्होंने उनकी जुबानी,
उनकी जुबानी, उनकी कहानी
उनके दिलों का हाल रे,
भोपाल है भोपाल है
इस शहर का नाम भोपाल है।


इस भोपाल शहर की मुर्दा झाँकी देखों
मर गए लोग उजड़ गई बस्ती बाकी देखो
बाकी देखों बाकी देखों
बचे हुओं का हाल रे,
भोपाल है भोपाल है
इस शहर का नाम भोपाल है।


इस भोपाल शहर ने ऐसा वक्त गुजारा
मरघट में था बदल गया ये शहर हमारा,
शहर हमारा, मौतों वाला
सिसक रहा, बेहाल है
भोपाल है भोपाल है
इस शहर का नाम भोपाल है।


इस बीमार शहर की आखों में अंधियारा
देख ना पाऐंगे अब हम-तुम सूरज प्यारा
है अंधियारा है अंधियारा
सब पर गैस की मार है
बीमार है बीमार है
है सारा शहर बीमार है
इस बीमार शहर को कोई गले लगा लो
मरते हुओं की सोचो कोई उन्हें बचा लो
उन्हें बचा लो उन्हें बचा लो
दुखिया हर नर-नार है
बीमार है बीमार है
है सारा शहर बीमार है।


अपने हकों की खातिर जो आवाज उठाते
लाठी डंडों से वो देखों मार हैं खाते
मार हैं खाते मार हैं खाते
कैसा ये व्यापार
सरकार है सरकार है
ये किसकी जी सरकार है।


अब भोपाल दुबारा कहीं ना बनने देंगे
बेकसूर बेबसों को अब ना मरने देंगे
प्रजातंत्र की आड़ में बैठे शैतानों को
आँख मूँदकर मनमानी ना करने देंगे
जागो उठो रे लोगों मिलकर हो जाओं तैयार रे
तैयार है तैयार है हम लड़ने को तैयार हैं।


भोपाल है भोपाल है
इस शहर का नाम भोपाल है।


गीत लेखक के नुक्कड़ नाटक ‘खामोशी तोड़ दो’ से।








9 टिप्‍पणियां:

  1. प्रमोदजी अमूमन मैं कविताएं बहुत कम पढ़ता हूं। पर इस दर्दनाक कविता से मैं बेहद प्रभावित हूं। भोपाल के दर्द को बयां करने का इससे काबिल तरीका और क्या हो सकता है।
    शुभकामनाएं।

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  2. इस भोपाल शहर की मुर्दा झाँकी देखों
    मर गए लोग उजड़ गई बस्ती बाकी देखो
    बाकी देखों बाकी देखों
    बचे हुओं का हाल रे,
    भोपाल है भोपाल है

    kya baat hai... geet itna prabhavshaali hai to sampurn nakat ne to avasya hi jalwe bikhere honge....

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  3. कविता पढ़कर मन दुखी हो गया भोपाल के लोगों के लिए .

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  4. sachmuch saari tasvir saaf saaf khich di aapki ye rachna jise dekh aur padhkar man dravit ho utha ,

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  5. घोषणा पत्र :
    आपकी सारी कोशिश बेकार है
    बेकार है
    क्योंकि यह भोपाल की ही नहीं
    हम सब की सरकार है
    हम सब की नहीं, हमारी बनाई हुई सरकार है

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  6. प्रमोद भाई सारी जवानी और भोपाल के दिन याद आ गए. वो सारा हादसा याद आ गया और वो सारे लमहे याद आ गए जब हम आपके साथ पीडितों के हकों के लिए लड़ते थे.

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  7. पढ़ कर ज़ख्म हरे हुए..
    :-(

    सादर
    अनु

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  8. गीत पढ़कर वह दु:खद घडी ताज़ी हो उठी ...
    सार्थक प्रस्तुति ...

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