शनिवार, 20 नवंबर 2010

आदर्श घोटाला

दैनिक हिन्दुस्तान में प्रकाशित
//व्यंग्य- प्रमोद ताम्बट//
    नित नए आदर्शों की स्थापना हमारे लिए कोई नई बात नहीं है, यह हमारी राष्ट्रीय लत है जिसे हम नाना प्रकार की सर्जना के माध्यम से अभिव्यक्त करते रहते हैं। इसी कड़ी में हमने एक आदर्श और स्थापित किया है, आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला। यह कई मायनों में ‘आदर्श’ घोटाला है और इतिहास में दर्ज किये जाने योग्य है।
    आज़ादी के बाद से अब तक पिछले बासठ वर्षों में शहीदों के प्रति हमारी भावनाएँ उनकी चिताओं पर मेले लगाने तक सीमित रहीं हैं, मेले को लूट खाने का इरादा हमने प्रत्यक्ष में कभी ज़ाहिर नहीं किया, ना ही इस मामले में कोई बड़ा आदर्श स्थापित किया है, लेकिन आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले ने यह आदर्श भी स्थापित कर दिया। हमने शहीदों की चिताओं पर मेला लगाने के बहाने मेला ग्राउंड मंे बिल्डिंग तानकर उसके फ्लेट लूट के माल की तरह आपस में बाँट खाए।
जितनी ऊँची आदर्श सोसाइटी की बिल्डिंग उतना ही ऊँचा घोटाला, सो घोटाले में ऊँचाई का आदर्श भी इतिहास में प्रथमतः ही स्थापित हुआ है। अर्थात खुदगर्ज़ी के नए प्रतिमान स्थापित करने के लिए हम कितनी ऊँचाई तक जाकर नीचे गिर सकते हैं हमने बता दिया है। कोई बताए अगर इससे ज़्यादा ऊँचाई से पहले कभी गिरा गया हो!
    जाति, धर्म, भाषा, प्रांत से ऊपर उठकर हमने जिस तरह से मिलजुल कर यह घोटाला अन्जाम दिया है उससे सही मायने में राष्ट्रीयता की भावना की अभिव्यक्ति हुई है। कोई माई का लाल यह कह नहीं सकता कि महाराष्ट्र के मराठियों ने, मात्र मराठी शहीदों के लिए बिल्डिंग का आदर्श खड़ा किया और मराठियों ने ही उसे आपस में बाँटकर खा लिया। जो भी हमारे पास दादागिरी के वांछित भाव के साथ आया हमने निरपेक्षता की पूरी रक्षा करते हुए घोटाले में उसे बराबरी का हिस्सा दिया, चाहे वह देश के किसी भी कोने से आया हो।

7 टिप्‍पणियां:

  1. किसी से तो ऊपर उठे हैं, हमें तो लग रहा था कि सबकुछ डूब गया है।

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  2. जाति, धर्म, भाषा, प्रांत से ऊपर उठकर हमने जिस तरह से मिलजुल कर यह घोटाला अन्जाम दिया है उससे सही मायने में राष्ट्रीयता की भावना की अभिव्यक्ति हुई है

    सटीक , व्यंगात्मक लेख ..

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  3. आदर्श है इसीलिए तो इसे घोटा गया है, न कि टाला गया है।

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  4. शानदार व्यंग पर अविनाश जी की बेहतरीन टिप्पणी.

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  5. नित नये आयाम छू रहा है घोटालों का देश..
    एक घोटा-टाला या घोटाला मन्त्रालय बना दिया जाये तो कैसा रहे...

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  6. वाह इससे आदर्श कोई और घोटाला हो ही नहीं सकता

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