कुछ प्रबुद्ध नागरिक गम्भीर चिन्तन करने के लिए एकत्र हुए। एक नेताजी ने चिन्तन शुरू करते हुए कहा-कितनी चिन्ता की बात है कि देश में भ्रष्टाचार एक बहुत ही चिन्ताजनक दशा में पहुँच गया है। हम किसी मन्त्री के पास कोई काम करवाने जाते हैं तो उसे काम करने से ज़्यादा इस बात की चिन्ता रहती है कि हमंने उस काम के लिए कितना माल लिया है।
तत्काल मन्त्रीजी बोल पड़े- नेताजी बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। बेइमान लोग काम हाथ में लेते वक्त हमारे नाम से रिश्वत लेते हैं, मगर इधर देते-दवाते कुछ हैं नहीं, पूरा माल खुद ही हड़प कर जाते हैं। भ्रष्टाचार का यह तरीका बेहद चिन्ताजनक है। जिसके नाम से जो लिया है वह उसे दिया जाना चाहिए।
एक आला अफसर बोले- हम जब लाखों रुपया खर्च कर अपनी पोस्टिंग करवाते हैं तो हमारी यह अपेक्षा रहती है कि हमारे मातहत अफसर जल्दी से जल्दी हमारी रकम की भरपाई करें। मगर वह कम्बख्त उगाही तो कर लेता है, पर हम तक पहुँचाने में मक्कारी करता है। हम अगर तबादला कर दें तो हमारा ही हिस्सा ऊपर वालों को खिलाकर अपना तबादला रुकवा लेता है। बहुत ही खराब समय आ गया है।
एक पुलिस महकमें के अफसर बोले- सभी जगह यही हाल है श्रीमान। अब बताइये आजकल इतना अपराध हो रहा है, इतना अपराध हो रहा है कि पूछिये मत, पैसे की रेलमपेल है। मगर नीचे वाले हफ्ता वसूली तक में चुंगी कर लेते हैं, ऊपर वाले सोचते हैं कि हमने कर ली। डिपार्टमेंट में बेइमानों की संख्या बहुत बढ़ गई है।
एक प्रकान्ड कानूनविद उठकर बोले-देखिए सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार कानून के धंधे में है। आदमी को सबसे पहले पुलिस वाले थाने में ही चूस लेते हैं, फिर अदालत में दलाल, मुशी, वकील उसके कपड़े उतार लेते हैं और एक नंगे चुसे हुए आदमी को हमारे पास भेज दिया जाता है। यह कोई बात हुई। आखिर हमने इतनी मोटी-मोटी कानून की किताबें इसलिए पढ़ी हैं कि हमारे हाथ कुछ लगे ही नहीं ? यह अच्छी बात नहीं है। करप्शन एक दिन देश को खा जाएगा।
एक व्यापारी अपनी व्यथा सुनाता हुआ बोला-आजकल व्यापार करना बड़ा मुश्किल हो गया है साहेबान। नकली माल की कीमत इतनी बढ़ गई है कि हमें कुछ बचता ही नहीं रहा है। असली माल बेचो तो इस्पेक्टर केस बना देता है। इस कदर भ्रष्टाचार हो गया है कि बच्चों के भूखों मरने की नौबत आ गई है। यह स्थिति सुधरनी चाहिए।
कार्पोरेट घराने का एक प्रतिनिधि बोला- आजकल देश चलाना कितना मुश्किल हो गया है। हर मंत्री, नेता, अफसर, पुलिस-प्रशासन की नज़र हमारी तिजोरी पर ही रहती है। हर आदमी जनता को लूटकर कमाए धन में से हिस्सा चाहता है। यह कोई अच्छी बात है क्या ? देश में जल्दी से जल्दी एक नई क्रांन्ति आना चाहिए।
तमाम प्रबुद्धजन भ्रष्टाचार के सम्बंध में अपने कटु अनुभवों से भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने के बारे में चिंतन करते रहे, देश अपनी रफ्तार से चलता रहा।