शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

एव्री डे फूल्स डे

//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//
            1 अप्रैल का दिन हो तो सारे बेवकूफोंका मन करता है कि कोई मूर्खतापूर्ण हरकत कर उन्हें बेवकूफ बनाए और कोई न कोई उन्हें मिल भी जाता है जो सुबह-सबेरे ही उन्हें बेवकूफ बनाकर ठहाके लगाता हुआ चलता बनता है। समझदारआदमी को मूर्ख बनाने के लिये किसी एक दिन की आवश्यकता नहीं है, अपने देश में तो हर एक दिन फूल्स डेहोता है और हर समझदारआदमी दूसरे को बेवकूफ समझकर एक-दूसरे को फूलबनाने में लगा रहता है। बेटा बाप को फूलबनाता है, बाप माँ को, माँ-बाप सास-ससुर को फूल बनाते हैं।
          सुबह होते ही दूध वाला ठाठ से पानी मिला दूध घर-घर बाँटकर सबको मूर्ख-बना जाता है, और उधर तमाम बाबा-बाबियाँ टी.व्ही. के भिन्न-भिन्न चैनलों पर साक्षात प्रकट होकर नाना विधियों से समझदारों को बेवकूफ बनाकर खुद नोट बनाते हैं। फिर दुनिया भर की कम्पनियाँ अपने घटिया उत्पादों को फिल्मी हीरो-हीरोइनों के ज़रिये बेचना प्रारंभ करती हैं। सिलसिला शुरू होता है चमड़ी का रंग गोरा करने के दावों और कपड़ों पर दूध सी सफेदी देने के झूठे विज्ञापनों से। देश भर को फूहड़ गीत-संगीत, कामेडी-सर्कसों और हमेशा बनी-ठनी, लड़ती रहने वाली औरतों के मूर्खतापूर्ण षड़यंत्रों वाले सिरियलों से एपीसोड दर एपीसोड मूर्ख बनाया जाता है।
          मूर्ख बनाने के कारोबार में सबसे आगे हैं राजनैतिक पार्टियाँ इनके पास एक से एक शातिर नेताओं की पलटन होती है जो हर परिस्थिति में अच्छे से अच्छे समझदारको पलक झपकते ही मूर्ख बना देती है। इन्हें कभी किसी फूल्स डेकी ज़रुरत नहीं पड़ती।         देश की हालत कितनी भी खराब हो, भूमंडलीकरण के मजे़ लूटने के लिये हमें दुनिया को मूर्ख बनाते रहना पड़ता है। बड़े-बड़े मॉलों, एयरपोर्टो, मेट्रो-सेट्रो और कॉमनवेल्थ, विश्वकप जैसे  आयोजनों के झंके-मंके से विश्व कम्यूनिटी को बेवकूफ बनाकर अपना उल्लू सीधा करना पड़ता है। हमारे शीर्ष बिजनेस प्रबंधक यह काम बखूबी करते हैं, दुनिया को पता ही नहीं पड़ता कि आलीशान गगनचुंबी इमारतों के पीछे हमारी जनता की हालत क्या है।
          इस तरह देखा जाए तो एव्री डे फूल्स डेवाली बात है। पूरे साल हम किसी न किसी को मूर्ख बना रहे होते हैं या कोई हमें मूर्ख बना रहा होता है।

7 टिप्‍पणियां:

  1. सही कहा आपने हर दिन एक मूर्ख दिवस है.
    बहुत ही सटीक व्यंग्य!

    सादर

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  2. सत्य कथनों को व्यंग्य के नाम से कहने की कला आपकी अनूठी है.

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  3. बिल्कुल सही...
    एवरी डे इज फूल्स डे.

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  4. हम दिन से होते हर्षित,
    वे दशक मनाने बैठे हैं।

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