गुरुवार, 21 जुलाई 2011

देवों के सोने जागने का राज क्या है

//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//     
जनसंदेश टाइम्स लखनऊ
          देव सो गये। अब उठेंगे फुरसत से। जब तक उठेंगे काफी पानी सर के ऊपर से बह चुकेगा। दुनिया का तो खैर कुछ नहीं कहा जा सकता मगर अपने देश में पाप, अनाचार और बढ़ जाएगा, नींद में गाफिल होने के कारण देव कुछ देख जो नहीं सकेंगे। पापियों को तो देवों के सोने-जागने से कोई फर्क नहीं पड़ता, वे पूर्ण कर्त्तव्यपरायणता से अपना काम करते रहते हैं, मगर पाप, अनाचार बढ़ जाने का कारण, देवों को सोया देख धर्मात्मा लोगों का बहती गंगा में हाथ धोने लग पड़ना है। वे चार महीने जमकर कुकर्म करते हैं और देवों के जागते ही फिर शरीफ बनकर घूमने लगते हैं।
          देवों की नींद के चक्कर में बेचारे प्रेमासक्त युगल जोड़े शादी-ब्याह से वंचित रह जाते हैं और चार महीने उनकी गुडमर्निग होने तक विरह की आग में जलते रहते हैं।
          मैं सोचता हूँ कि इतने पुरातन और महत्वपूर्ण इशू पर किसी ने आज तक पी.एच.डी. क्यों नही की। कितना बढ़िया विषय है, एकदम मौलिक - ‘‘देवों का सोना-जागना, और इसका मानव जाति पर प्रभाव एक विवेचनात्मक अध्ययन’’! देश तो क्या दुनिया भर में इस विषय पर आज तक किसी माई के लाल ने कोई शोध अनुसंधान नहीं किया होगा।
          मुझे मौका मिले तो मैं अपने शोध प्रश्नों से ज्ञान जगत को स्तब्ध कर दूँ। जैसे-देव आखिर सोते क्यों हैं? सोते हैं तो इतना क्यों सोते हैं ? क्या देवों की नींद में सूरज की रोशनी से कोई खलल नहीं पड़ता! क्या सभी देव सो जाते हैं या कुछ जागकर वैकुंठ की चौकीदारी वगैरह भी करते हैं! सोते समय क्या देवगण खुर्राटे भरते हैं, यदि भरते हैं तो खुर्राटों की फ्रिक्वेंसी क्या रहती है। इससे एक-दूसरे को डिस्टर्बेंस होता है या नहीं। इतने सारे देवों के खुर्राटों की आवाज़ हमें यहाँ पृथ्वी पर क्यों सुनाई नहीं देती। ज़रा से बादल लड़ जाते हैं और गड़-गड़ की आवाजें होने लगती हैं तो दारू पीकर पड़ा आदमी भी चौक कर उठ बैठता है। देवों को ना तो खुर्राटों से फर्क पड़ता है ना बादलों की गड़गड़ाहट से।
          इस विषय पर सचमुच गंभीरता से शोध होना चाहिये आखिर देवों के सोने-जागने का राज़ क्या है?

7 टिप्‍पणियां:

  1. एक शोधपत्र लिखने का प्रयास करता हूं सर

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  2. असल में जब अपुन सो जाते हैं तो देव सो जाते हैं ....

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  3. विष्णु जी ससुराल (क्षीरसागर) गए हैं। बड़े भैया इंद्र बरसात कराने मे व्यस्त हैं। मैनेजमेंट कुछ गड़बड़ाया हुआ है। कहीं बहुत अधिक तो कहीं बहुत कम बरसात की जा रही है। कोई देखने वाला नहीं है। न्याय के देवता शनि भी उन का कुछ नहीं बिगाड़ सकते, आखिर वे राजा हैं और वे भी वज्रधारी।

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