शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

चुनाव उद्यमियों के स्वागत में


व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट
उत्तरप्रदेश में चुनाव होने वाले हैं, महत्वाकांक्षी बंदे कमर कस कर तैयार हैं। माल बनाने का इससे अच्छा मौका दूसरा नहीं। देश भर में फैले भाईकिस्म के यूपीआइड भी अपने छोटे-मोटे काम धंधे बंद कर, मोटी कमाई की आशा में अपनी जन्मभूमि की ओर चल दिए होंगे। मौत-मयैत में भले न जाएँ, मगर चुनाव के समय वे ज़रूर पहुँचेंगे। हर कोई कालेधन की बहती गंगा में हाथ धो लेना चाहता है।
यहाँ भले ही इन्डस्ट्री के भट्टे बैठे हुए हों मगर चुनाव उद्योग ज़ोरों पर चलता है। इस समय पूरा यू.पी. एक विशाल इंडस्ट्रीयल हब में तब्दील हो जाता है और आनन-फानन में यहाँ अरबों-खरबों का कारोबार सम्पन्न हो जाता है। राजनैतिक दलालों की पौ-बारह हो जाती है, गुंडे-बदमाशों के वारे-न्यारे हो जाते हैं, छुटभैयों का भाग्य चमक जाता है। छोटे-मोटे धंधे कर लोग जितना नहीं कमा पाते, ज़रा सा साहस करने से दस-पन्द्रह दिनों में उससे कई गुना ज़्यादा माल कमाया जा सकता है, बशर्ते बंदा चुनाव पूर्व के साहसिक उद्यमों में पर्याप्त पारंगत हों।
चुनाव के दौर में कई महत्वपूर्ण कामकाज होते हैं जो पार्टियों को कुर्सी तक पहुँचाने के लिए आवश्यक होते हैं, ताकि वे दबाकर देश सेवा कर सकें। इन कामों को सुचारु रूप से सम्पन्न करवाने के लिए प्रोफेशनल चुनाव उद्यमियों की जरुरत होती है जो हर चुनाव में अपना काम कर वापस दूसरे प्रदेशों की शोभा बढाने लगते हैं। भाषण तो खैर नामी लेखकों से लिखवाकर नेता लोग खुद ही झाड़ देते हैं, प्रचार-प्रसार, पोस्टर चिपकाना, दीवारें रंगना, पर्चे-पम्पलेट बाँटना इत्यादि काम कमिटेड कार्यकर्ता करते हैं। गाड़ियों पर सवार होकर हुल्लड़बाजी करना, दारू-कंबल, नोट बाँटना, फर्जी वोट डालना-डलवाना, बूथ लूटना, मत पेटियाँ-मशीनें उठाकर भागना, मतदाताओं को डराना-धमकाना, गोली चालन, बमवर्षा, हत्या-अपहरण आदि-आदि विशिष्ट कामों के लिए विशिष्ट उद्यमियों की ज़रूरत होती है।
         चोर-डाकू, लुटेरे, जिलाबदर अपराधियों के लिए चाँदी काटने का यही मौका है, वे अपनी गरिमामय उपस्थिति से एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया पूरी करने में अपना सर्वस्व झौंक देते हैं। जैसे ठंडों में झुंड के झुंुड प्रवासी पक्षी आगमन करते हैं, वैसे ही इन दिनों देशभर से अनुभवी चुनावी लड़ाके यू.पी. की ओर दौड़े चले आ रहे होंगे, आइये उनका स्वागत करें।

4 टिप्‍पणियां: