रविवार, 15 अप्रैल 2012

बाबागिरी का चोखा धंधा


//व्‍यंग्‍य-प्रमोद ताम्‍बट// 

बाबा बनकर सलाह बेचने का धंधा आजकल चोखा धंधा है, हींग लगे न फि‍टकरी फि‍ऱ भी रंग चोखा कहावत इसी धंधे से निकली है। सलाहें मूर्खता पूर्ण हो तो धंधा इतनी ज़ोर-शोर से चलता है कि पूछो मत। हाल ही में मैंने एक बाबा के समागम में शिरकत की और जो डायलॉग सुने उन्‍हें प्रस्‍तुत कर रहा हूँ :-
भक्‍त- बाबा बहुत दिनों से बेरोज़गार हूँ, नौकरी नहीं मिलती, क्‍या करूँ ?
बाबा- पिछली बार चिकन तंदूरी कब खाया था ?
भक्‍त- आज तक नहीं चखा बाबा!
बाबा- तभी तो कृपा कम हो रही है, पहले कहीं फाइव स्‍टार होटल में बैठकर चिकन तंदूरी खा, कृपा दौड़ी चली आएगी, नौकरी भी लग जाएगी।
भक्‍त- बाबा बिल क्‍या कृपा भरेगी ?
बाबा- बिल भरने को भी पैसा नहीं है तो फि‍र आया क्‍यों यहॉं ?
भक्‍त- बाबा जो कुछ था उससे समागम की एन्‍ट्री फीस भर दी, अब कहॉं से लाऊँ पैसा ?
बाबा- अच्‍छा यहॉं भी कृपा कम हो रही है, चना कब से नहीं खाया ?
भक्‍त- बाबा रोज़ चना खाकर ही गुज़ारा करता हूँ !
बाबा- आज से चना खाना बंद कर दो, कृपा आना शुरू हो जाएगी। चने के पैसे बचेंगे तो तंदूरी चिकन खा लेना, सब ठीक हो जाएगा।
भक्‍त- चना नहीं खाउँगा तो जिंदा कैसे रहूँगा।
बाबा- यह मेरी समस्‍या नहीं है।
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भक्‍त- बाबा मेरी दोनी किडनियॉं खराब हो गईं हैं और लीवर सड़ गया है,  डाक्‍टरों ने जवाब दे दिया है, कुछ करो बाबा !
बाबा- ठर्रा कब से नहीं पीया ?
भक्‍त- क्‍या बात करते हो बाबा, मैं तो चाय-काफी भी नहीं पीता !
बाबा- यहीं तो कृपा कम हो रही है, जीवन में कभी भी ठर्रा नहीं पीयोगे तो लीवर-कीडनी खराब नहीं होगी तो क्‍या होगा ? जाओ पहले किसी कलारी पर जाकर ठर्रा चढ़ाओ, सब ठीक हो जाएगा।
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भक्‍त- बाबा मेरी शादी नहीं हो रही है।
बाबा- शादी में लड्डू कब से नहीं खाया ?
भक्‍त- कल ही खाया था बाबा।
बाबा- कल के पहले कब खाया था?
भक्‍त- परसो !
बाबा- परसो के पहले ?
भक्‍त- नरसो !
बाबा- दूसरों की शादियों में रोज़-रोज़ लड्डू खाओगे तो कृपा कैसे आएगी। आज से लड्डू खाना बंद करके बरफी खाओ, कृपा आना शुरू हो जाएगी।
भक्‍त- बाबा मैं तो लड्डू के साथ-साथ बर्फी भी खाता हूँ !
बाबा- यही तो गड़बड़ करते हो। जाओ लड्डू खाना बंद करके सिर्फ बरफी खाओ। बहुत जल्‍दी शादी हो जाएगी।
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भक्‍त- बाबा मैं बहुत पढ़ता हूँ बहुत पढ़ता हूँ लेकिन पास ही नहीं होता।
बाबा- अच्‍छा, क्‍या कर रहे हो ?
भक्‍त- बाबा बी.एस सी. कर रहा हूँ।
बाबा- कौन से सब्‍जेक्‍ट से बी.एस सी. कर रहे हो।
भक्‍त- फि‍जिक्‍स, केमेस्‍ट्री, मैथ्‍स बाबा।
बाबा- इसीलिए तो कृपा नहीं आ रही है, कल से राजनीति और दर्शनशास्‍ञ की पढ़ाई करके बी.एस.सी. की परीक्षा दो पास हो जाओगे।
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यह सब सीन देख-सुनकर मुझे पूरा भरोसा हो गया है कि इस देश में ठगी का धंधा अब बड़ी इज्‍ज़त का धंधा हो गया है और अब इसमें जूते पड़ने की संभावनाऍं नगण्‍य हो गईं है। चूँकि व्‍यंग्‍यकारों के पास ऐसी धांसू सलाहों की कोई कमी नहीं होती इसलिए सभी व्‍यंग्‍यकारों को भी मेरी विनम्र सलाह है कि जबरन कलम घिसना छोड़कर बाबागिरी का धंधा शुरू कर मूर्खता पूर्ण सलाहें देने लग पड़ें, कहीं कोई खतरा नहीं है, फायदा ही फायदा रहेगा। मैं तो बहुत जल्‍द यह धंधा शुरु करने वाला हूँ। प्रथम सौ लोगों को फीस में मोटी छूट दी जाएगी। पहले आऍं पहले पाऍं।