शनिवार, 9 मई 2020

बस एक अदद कोरोना भर मिल जाए

//व्‍यंग्‍य-प्रमोद ताम्बट//
          अपन भी कोई कम साइंटिस्ट नहीं हैं। स्कूल में बहुत मेंढकों की चीर-फाड की है। संकट की इस घड़ी में अनुभव का लाभ उठाने में क्या हर्ज है। जब लाखों लोग कोरोना विशेषज्ञ बने चले जा रहे हैं तो अपन में क्या कमी है। बस एक अदद कोरोना का सेम्पल मिल जाए। सेम्पल लेने के लिए कफ सिरप की शीशी निकाल रखी है अपन ने, बस उसका ढक्कन पलंग के नीचे चला गया है, निकल नहीं पा रहा है। कोई बात नहीं पॉलीथीन से मुँह बंद कर रबरबैंड लगा देंगे, हो जाएगा काम। हाथ आ जाए फिर उस खबीस कोरोना का विच्छेदन कर के देखेंगे कि कौन सी चक्की का आटा खाता है कम्बख्त, और वह चक्की चीन की है या अमरीका की।
          सबसे पहले तो मैं ऐसा सस्‍ता चश्मा इजाद करूंगा जिसे कोई भी खरीद सके। उस चश्‍में से कोरोना को साफ-साफ देखा जा सकेगा। इससे मेरे वैज्ञानिक शोध अनुसंधान के अलावा आम जन साधारण को भी लाभ होगा। मैं अपना अनुसंधान करता रहूँगा लोग लॉकडाउन का फायदा उठाकर कोराना की तलाश में लग जाएंगे। मोहल्‍ले भर में चश्मा लगाकर घूमेंगे बस, आस-पास जहाँ कहीं भी कोरोना लुका बैठा होगा तो दिख जाएगा। कोई घर आए आपके तो पहले चश्मा लगा कर बाहर ही उसकी स्क्रीनिंग कर लो कि कहीं उसके नॉक-मुँह-कान, दाँतों-मसूड़ों में कोरोना तो नहीं छुपा बैठा है। या कपड़ों-जूतों में खटमल की तरह कोरोना ले आया हो आगंतुक। चश्में से सब दिख जाएगा। इससे पहले कि सामने वाला आपके घर में कोरोना छोड़ जाए, उसे मोहल्‍ला छोड़ने को मजबूर कर सकते हैं आप। तब तक एक एंटी कोरोना स्‍प्रे बना लूँगा मैं। बस एक अदद कोरोना भर मिल जाए।
          पता नहीं अल्कोहल बेस सेनेटाइज़र से कोरोना मर भी रहा है या अल्कोहल के प्रभाव से टुन्न होकर हमारे शरीर पर ही यहाँ-वहाँ लुड़कता फिर रहा है। यह तो मेरे बनाए उस चश्में से ही पता चलेगा। घर में आने वाले नलके के भीषण प्रदूषित पानी का छिड़काव करके कोरोना पर उसका प्रभाव देखने की तो किसी को सूझी ही नहीं अब तक। अपन यह प्रयोग करेंगे। नल के प्रदूषित पानी से जब हमें दस्त और मरोड़ उठने लगती हैं तो करोना कौन सा अमृत पी कर बैठा होगा! अगर पीकर बैठा भी है तो इसी बहाने शुद्ध भारतीय अमृत के मुकाबले चायनीज़ या अमेरिकन अमृत पर भी लगे हाथों शोध हो जाएगा, कि कौन सा ज़्यादा पावरफुल है।
          बड़ा कन्फ्यूजन है कि हवा से कोरोना फैलता है या नहीं। बस इत्ती सी बात है। इतना ही तो पता करना है कि कोरोना को पंख हैं या नहीं। बहुत आसान है। चश्मा बन जाए तो देख लेंगे। फिर उसके पंख झड़ाने के लिए कोई तरकीब इजाद कर लेंगे। पंख झड जाए तो कम्बख्त उड़ेगा कैसे! जैसे हम घर में दुबके बैठे हैं वह भी जहाँ का तहाँ पड़ा रहेगा। उसकी चेन वहीं टूट कर गिर पड़ेगी। हम ऐसी-ऐसी खतरनाक हवन सामग्री तैयार करने की दिशा में शोध करेंगे कि जिसके अग्नि में समर्पित होते ही कोरोना भी आत्‍म समर्पण कर दे। अपन यह भी कर सकते हैं कि तीखी लाल मिर्चों का धुआ फॉग मशीनों में भरवाकर शहर भर में उड़वा देंगे। करोना मरा तो ठीक, न भी मरा तो लोग तो कम से कम घर के अन्दर बैठे रहेंगे। अपने शोध का इतना ही योगदान काफी होगा।
          अभी हमने अपनी रिजर्व फोर्स का तो जिक्र ही नहीं किया है। हमारे इर्द-गिर्द तो लाखों ऐसे जीवाणू-किटाणू मौजूद हैं जो आए दिन हमारी नाक में दम किए रहते हैं। टी.बी., मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी सैकड़ों बीमारियों के एक्सपर्ट जीवाणू, वायरस हमारे किस दिन काम आएंगे। हम कोरोना की नाक में दम करने के लिए उनका इस्‍तेमाल करेंगे। हमें बस हमारे इन पुराने भरोसेमंद दोस्तों को कोरोना के खिलाफ भड़काना भर ही तो है। ऐसा थोड़ी है, आखिर धार्मिक, साम्प्रदायिक, जातीय, और नस्लीय भावनाओं से तो वायरस लोग भी ओत-प्रोत होते ही होंगे। उनकी भावनाओ को भड़काएंगे फिर दूर बैठे तमाशा देखेंगे। हालाँकि इनमें से किसी भी वायरस का रंग मुझे पता नहीं है, मगर चश्में की इजाद होते, कोरोना के रंग का पता चलते ही मैं तो इनमें आपस में रंगभेदी दंगा भड़का दूँगा। देखो कोरोना कैसा दुम दबाकर भाग खड़ा होता है। दरअसल यह भी पता नहीं है कि कोरोना की दुम भी है या नहीं! बस एक अदद कोरोना मिल जाए और सुपर पावर चश्मा इजाद हो जाए बस, सब कुछ पता चल ही जाएगा।
          एक बार यह कम्‍बख्‍त कोरोना पकड़ में भर आ जाए, इसका व्‍यावसायिक उत्‍पादन करके आसपास के दुष्‍ट देशों को डराने की भी योजना है मेरी। तोप के गोलों में कोरोना भरवाकर एक-एक बोफोर्स तोप आठों तरफ सीमाओं पर तैनात कर दी जाएगी। हर साल के अरबों-खरबों के सुरक्षा बजट की बचत हो जाएगी। बच्‍चों को दूध मिल जाएगा, पाठशाला मिल जाएगी। सबसे बड़ी बात हम देश भर में अस्‍पतालों की कतार लगा देंगे और उनमें डाक्‍टरों की फौज भरती कर लेंगे। बस एक बार उस कोरोना का बच्‍चा मेरे हाथ भर आ जाए।

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही कोरोना पकड़ चश्मा पहले और विनाशक बाद में । पकड़ में टीम लग चुकी है ।

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  2. अल्कोहल बेस सेनेटाइज़र से कोरोना मर भी रहा है या अल्कोहल के प्रभाव से टुन्न होकर हमारे शरीर पर ही यहाँ-वहाँ लुड़कता फिर रहा है

    मजा आया सर जी बहुत ही बढ़िया ब्लॉग आर्टिकल

    https://eksacchai.blogspot.com
    https://enoxo.blogspot.com

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  3. बस चश्मा का जल्दी इजाद हो जाए. फिर तो कोरोना दुम दबाकर भागेगा. बहुत बढ़िया हास्य. शुभकामनाएँ.

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