शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2020

कोरोना के खिलाफ वायरोनार

// व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//

         कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभुत्व से चिंतित होकर परंंपरागत रूप से हमारे साथ खेल-कूद कर बड़े हुए वायरसों में गहरा असंतोष एवं आतंक का वातावरण उत्पन्न हो गया था । उन्होंने व्यांपक लॉकडाउन में भी किसी तरह एक-दूसरे से सम्‍पर्क साधकर एक छोटा सा 'वायरोनार' आयोजित कर लि‍या और उसकी तैयारियों में जुट गए । तैयारियों के बीच नाना मुद्दों के साथ एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर वायरसों के बीच जमकर सर फुटव्वल हुई । हुआ यह कि एक पक्ष इस वायरोनार का अध्यूक्ष/मुख्यअथिति कोरोना वायरस को ही बनाना चाहता था जिसके खिलाफ यह सारी मुहीम थी । जबकि दूसरा पक्ष दुश्मन के साथ किसी भी प्रकार का मेलजोल रखने के सख्त  खिलाफ था । बहरहाल अंत में 'डेंगू' वायरस को अध्यक्ष/ मुख्य अतिथि बनाने पर सहमति बनती पाई गई और मामला शांत हुआ ही था कि पुन: बेेेक्टेरिया प्रजाति को वायरोनार में आमंत्रित करने के मुद्दे भर गर्मा-गर्मी होने लगी । कुछ वायरस जातिवाद के घोर समर्थक थे अत: बेेक्टेेरिया को वायरोनार में आमंत्रित करना नहीं चाहते थे लेकिन बड़े-बूढ़े सेकूलर वायरसों के समझाने पर कि उन्हें नहीं बुलाया तो भीड़ कहाँ से इकट्ठी होगी, जातिवादी वायरस मान गए परंतु इस बात पर फिर  भी अड़े रहे कि अव्वल तो वह लोग अपना मुँह सिल कर बैठे रहेंगे और दूसरे, कार्यक्रम का नाम किसी भी कीमत पर ‘वायरोनार’ ही होगा, ‘वायरो-बेेक्टे़रियोनार’ अथवा ‘बेेक्टोम-वायरोनार’ जैसा कुछ भी नहीं किया जा सकेगा । 

ऐसे ही छोटे-मोटे विचार मतभेदों के साथ आखिरकार वायरोनार का दिन आ गया । सुबह से ही गहमा-गहमी शुरू हो गई । कुछ वायरस मुख्य अतिथी को लेने साफ पानी की तलाश में निकल गए । बमुश्किल साफ पानी मिला तो उसमें आराम फर्मा रहे 'डेंगू' महाशय नखरा दिखाने लगे । जब उन्हें कोरोना वायरस के सार्वभौमिक खतरों से आगाह किया गया तब उनकी आँखें चौड़ी हुई और वे बाहर निकले मगर फिर अपनी सवारी मच्छंर के बिना कहीं जाने को वे हरगिज तैयार नहीं थे । मच्छर कहीं- फिनिट पीकर पड़ा हुआ था । आखिरकार एक मख्खी से लिफ्ट लेकर डेंगू वायरस महोदय को अध्य़क्षता/मुख्यन आतिथ्य कराने के लिए उठाकर लाया गया । 

वायरोनार प्रारंभ हुआ । प्रस्ताावना रखते हुए संयोजक वायरस ने बोलना शुरू किया- प्रिय वायरसों और समर्थन में उपस्थित बेेक्टेरिया जनों, आप सब जानते ही हैं कि इस युग का सबसे बड़ा संकट कोराना वायरस कोविड-19 इस धरती पर दस्तक दे चुका है और बहुत तेजी से दुनियाभर को अपने चुंगल में लेने की तैयारी में है । लेकिन यह दुनिया किसी की बपौती नहीं है, यह हम सबकी साझा दुनिया है । इस दुनिया में वायरसों के बीच शांतिपूर्ण सहअस्तित्व का सिंद्धात हमेशा से माना जाता रहा है । हम में से किसी ने भी कभी एक दूसरे के हितों स्वार्थों की अनदेखी नहीं की है । मगर,जुम्मा-जुम्मा चार दिनों पहले पैदा हुए इस कोरोना वायरस ने, वायरस प्रजाति की घोर उपेक्षा करते हुए एक सिरे से सारी दुनिया पर कब्जा  करना शुरू कर दिया है । हमसे फूटे मुँह बात तक करना ज़रूरी नहीं समझा इस आततायी ने । नीति-नैतिकता नाम की चीज़ नहीं रह गई है हमारे समाज में। दोस्तों, हम सबके अस्तित्व पर संकट के गहरे बादल मंडरा रहे हैं । हमारी पूछ-परख कम होती जा रही है । मनुष्य  लोग हमसे डरना बंद कर रहे हैं । केवल करोना से ही सबकी घिग्घीं बंध रही है । हमारा खौफ इतना कम हो गया है कि ड्रग कम्पनियों ने हमें मारने वाली दवाइयाँ, प्रिवेंटिव मेडिसिन्स  तक बनाना बंद कर दिया है । सब कोरोना की दवा ढूँढ़ने में लगे हुए हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो दुनिया में हमारा कोई नाम लेवा तक नहीं बचेगा। हर जगह बस कोरोना का रोना ही रह जाएगा । इन सब गंभीर बिन्दुओं पर चर्चा करने के लिए अत्यंत शार्ट नोटिस पर आज इस वायरोनार का आयोजन किया गया है । अध्यक्ष/ मुख्‍य अतिथि महोदय की अनुमति की प्रत्याशा में (चूँकि वे सो रहे थे) आप सबसे अनुरोध है कि इस विषय पर जो कोई वायरस बंधु प्रकाश डालना चाहता है कृपया मंच पर उपस्थित होने का कष्ट करें ।

मंच पर तो कोई आया नहीं, सारे वायरस अपने-अपने स्थान से ही चिल्ला -चोट करने लगे । सबसे पहले ‘इन्फ्लूपएंजा’ वायरस खड़ा हुआ और बोला- इस कोरोना के बच्चे पर तो कॉपी राइट उल्लघंन का केस दायर किया जाना चाहिए । ये कमीना हूबहू हमारी आक्रमण शैली और गुण लक्षणों को चुराकर हमले कर रहा है । इनका ही बड़ा तोपचंद था तो अपनी अलग शैली क्योंं विकसित नहीं कर ली इसने ? 

‘हंता’ वायरस भी इस बीच चिल्ला कर बोला- मेरी स्टाइल को भी चुराया है इसने। पल्मोसनरी सिस्टम पर अटैक पर मेरा कॉपी राइट था मैं छोडूंगा नहीं इस करोना को । 

‘एच.आई.व्हीम’ का वायरस खड़ा हुआ और बोलने लगा – आज तक दुनिया भर पर मेरा राज था । लोग चूमा-चाटी, मैथून क्रिया और सुई-इंजेक्शन लगवाने से पहले मुझसे बचने की फिक्र करते थे । मगर यह कोरोना का बच्चा, इसके कारण तो इंसान हवा, पानी, सब्जीे-भाजी हर चीज से डरने लगा है । मेरे मरीज को कम से कम दूसरा कोई व्‍यक्ति छूकर सांत्वाना तो दे सकता है, कोरोना के मरीज से तो लोग कोसों दूर भाग रहे। मरे बाप को फूँकने मरघट तक नहीं जा रहे।  मेरा टेरर तो रहा ही नहीं। मेरी तो इर्म्पोनटेंस ही दुनिया में खत्म होती जा रही है। 

‘सार्स’ का वायरस उठकर खड़ा हुआ और चिल्लाया-अरे मेरा तो भाई बताया जा रहा है इस कम्बख्त को। लेकिन देखिए मुझे कोई कंसल्ट नहीं, कोई सलाह–मशविरा नहीं । दो कौड़ी की इज्जत नहीं दे रहा मुझे। बस उठकर चल दिया दुनिया पर कब्जा करने। रोक लो इसे तुरंत नहीं तो ये इंसानी प्रजाति को तो खत्मा करेगा ही हमारे अस्तित्व‍ की भी वाट लगवा देगा ।आखिर इंसानों से ही तो हमारा भी अस्तित्व है भाई । इंसान ही नहीं रहेगा तो हम कहाँ जाएंगे? 

‘इबोला’ का वायरस रोने लगा और मंच पर चढ़ कर गिड़गिड़ाता सा बोला- जान बचा लो भाइयों। हम सब शांति से इंसानों के साथ रह रहे हैं, मगर अब इस कोरोना के चक्कर में रोज साबुन, सेनेटाइजेशन, फागिंग और न जाने क्या-क्या अत्याचार सहन करना पड़ रहे है। आप लोगों से हाथ जोड़ कर विनती है, बचा लो हमें, नहीं तो हम सब बेमौत मारे जाएंगे।

वायरसों ने जबरदस्त कोहराम मचाना शुरू कर दिया । नारेबाजी होने लगी – नहीं चलेगी, नहीं चलेगी – इंसानी मनमानी नहीं चलेगी। किसी ने समझाया, भाइयों फिलवक्त इंसान हमारा दुश्मन नहीं है। दुश्मंन है कोरोना। तब फिर परिवर्तित होकर नारे लगने लगे- नहीं चलेगी, नहीं चलेगी- कोविड की मनमानी नहीं चलेगी । कोरोना हाय-हाय कोरोना हाय-हाय इत्यादि-इत्यादि । 

संयोजक ने हो हल्ला बढ़ता देख अध्यक्ष/मुख्य अतिथि महोदय ‘डेंगू’ को जगाकर स्थिति सम्हालने का निवेदन किया। डेंगू वायरस अपने स्थान पर ही लुढ़का हुआ सा माइक पकड़ कर बोलने लगा- देखो भाइयों, धैर्य खोने का नहीं । हम भी कभी एक दूसरे के बाप थे, मगर आज नहीं है । इंसानों ने हमसे डरना छोड़कर हम पर विजय पा ली ।  ऐसे ही 'कोविड उन्नीस' कोई अमृत पीकर नहीं आया है । आज नहीं तो कल इंसान उसकी काट निकाल ही लेगा । फिर दौड़ा-दौड़ा कर मारेगा उसको। उस दिन उस कोरोना को एहसास होगा कि बिरादरी की अवहेलना करके अलग से अपनी सत्ता  कायम करना कितनी बड़ी मूर्खता है । मैं भी कोई कम था क्या ? अच्छे-अच्छे काॅँँपते थे डेंगू के नाम से । लेकिन अब पड़ा रहता हूँ घोंघे की तरह साफ पानी में । 

डेंगू वायरस का भाषण आगे बढ़ता इसके पहले ही वायरोनार स्थल धड़-धड़-धड़ हिलने लगा, जैसे हजारों घोड़े दौड़े चले आ रहे हों । चारों ओर धूल-आंधी उड़ने लगी । कोई चिल्लाया- अरे, कोविड-19, कोविड-19, कोरोना का आक्रमण हुआ है । चारों ओर भगदड़ मच गई । शोर-गुल के बीच अचानक माइक पर आवाज़ गूंजी- बिरादाराने कौम, वायरस प्रजाति की आन-बान-शान, दुनिया के मालिकों, आप सब माननीय वरिष्ठों  को इस नाचीज़ कोराना वायरस कोविड-19 का सलाम । फालतू की हरकतें करने की ज़रूरत नहीं है। मैं आ गया हूँ और मेरी फौज ने पूरे वायरोनार पर कब्जां कर रखा है । किसी ने भी हिलने-डुलने की जुर्रत की तो भगवान कसम यहीं उसका किरियाकरम करवा दिया जाएगा । तुम लोगों की यह हिम्मत जो तुम लोग मुझे बताए बगैर यह वायरोनार कर रहे हो ? मेरा बहिष्कार कर रहे हो ? मेरे खिलाफ षड़यंत्र कर रहे हो ? कान खोलकर सुन लो तुम सब, होगे तुम पुराने, सीनियर और सम्मानित, प्रतिष्ठित टाइप के वायरस, यह मेरा जमाना है। कोविड-19 कोरोना वायरस का ज़माना। मैं अपनी स्टाइल से वायरस कुल को आगे ले जाऊॅगा। दुनिया फतह करूंगा। साथ दो तब भी और न दो तब भी इस काम में मुझे आप सबका साथ चाहिए। दुश्मनी नहीं करना है मुझे आप सबसे । मेरा सिद्धांत है सबका साथ सबका विकास। मेरी छत्रछाया में चुपचाप पड़े रहो। देखो, इंसान आज तक तो हम कोराना वायरसों का कुछ बिगाड़ नहीं पाया, न ही बिगाड़ पाएगा । हम इस दुनिया पर एकछत्र राज करने के लिए पैदा हुए है और इसी ध्येय से आगे बढ़ रहे हैं । हमें कोई रोक नहीं सकता। अरे जब इंसान नहीं रोक सकता, तो तुम दो कौड़ी के टुच्चे वायरस मुझे क्या रोकोगे? बेहतरी इसी में है कि मेरा साथ दो । हम सब मिलकर इंसानों की इस दुनिया को फतह करेंगे । 

तभी किसी ने नारा लगाया- लॉग लिव लॉग लिव- कोरोना वायरस लॉग लिव। कोरोना वायरस जिंदाबाद- जिंदाबाद जिंदाबाद ।

पहले तो सारे वायरस एक दूसरे का मुँह ताकते रहे, परंतु जब वायरोनार के  अध्यक्ष/ मुख्य  अतिथि डेंगू वायरस ने मंच पर कोरोना वायरस के सुर में सुर मिलाकर प्रचंड नारा लगाया- हमारा नेता कैसा हो, तो पूरा वायरोनार स्थल गॅूज उठा, कोरोना वायरस जैसा हो । 

बाहर नगर निगम की गाड़ी सेनेटाइजर की फुहार छोड़ कर क्षेत्र को सेनेटाइज कर रही थी । उस पर गाना बजा रहा था – हम सबने ठाना है, कोरोना को हराना है । गाड़ी से निकली एक प्रचंड फुहार ने वायरोनार स्थल को तरबतर कर दिया । सारे वायरसों में वह भगदड़ मची की पूछो मत । 

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