हाल ही में एक धुरन्धर भारतीय गुप्तचर ने भारत के आन्तरिक सुरक्षा विभाग को एक अत्यंत गुप्त रिपोर्ट भेजी है। गुप्त इतनी है कि भेजने वाले तक को पता नहीं है। रिपोर्ट में यह महत्वपूर्ण खुलासा किया गया है कि अमरीका में कुछ ही दिनों पहले एक बहुत ही जबरदस्त आतंकवादी हमला किया गया है जिसका जिम्मेदार कोई ‘असाजे’ नामक खूँखार आतंकवादी संगठन है और इस संगठन का सरगना कोई ‘विक्की’ नाम का आतंकवादी है। विक्की इन दिनों ब्रिटेन में फरारी काटता हुआ पकड़ा गया है।
यह आतंकवादी जिसके बाप का नाम ‘लीक्स’ बताया जाता है, एक नई तरह का आतंकवादी है जो कम्प्यूटर में से गोपनीय सरकारी जानकारियों को चुराने में माहिर है। अमरीका की बहुत सारी गुप्त जानकारियाँ चुराकर उसने अमरीकी गोपनीयता प्रणाली की खटिया खड़ी कर दी है। इसमें सबसे अहम खुलासा जो हुआ है वह अमरीकियों द्वारा दुनिया भर के नेताओं को दी जाने वाली गालियों के संबंध में है। इसके अलावे उसने ऐसी-ऐसी जानकारियाँ चुराने में सफलता हासिल की है जिन्हें चुरा सकने की क्षमता और कुशलता केवल अमरीका के पास ही मौजूद है। अमरीका वाले ‘विक्की लीक्स’ के प्रत्यर्पण की कोशिश में हैं, हो सकता है इस रिपोर्ट के श्रीमान तक पहुँचने के पहले ही उसे अमरीका को सौंप दिया जाए।
समझा जाता है कि इस जानकारियाँ चुराने वाले शख्स की अमरीका को इसलिए ज़रूरत है ताकि उसे पकड़कर दूसरे मुल्कों की गोपनीय जानकारियाँ चुराने के काम में लगाया जा सके। चुराए जाने की दृष्टि से हमारे देश में कई सारी अहम जानकारियाँ है जिन्हें इस आतंकवादी के चुंगल से बचाया जाना बेहद ज़रूरी है। जैसे हमारे देश के नेता लोग यदि दूसरे मुल्कों के शासनाध्यक्षों को गालियाँ देते होंगे तो वे अवश्य ही बहुत गंदी-गंदी होती होंगी और उनका दुनिया के सामने आना हमारे लिए बहुत ही नुकसानदेह होगा। हमारी गालियाँ सारी दुनिया में फैल जाएँगी और यह बौद्धिक सम्पदा अधिकार के हनन का मामला बन जाएगा। फिर, भ्रष्टाचार, दलाली, कमीशनखोरी, यत्र-तत्र-सर्वत्र सांठगांठ, कालेधन संबंधी सूचनाओं का जो भंडार हमारे देश के कम्प्यूटरों में भरा होगा वह तो दुनिया के तमाम सूचनाओं के भंडार से कई गुना ज़्यादा हो सकता है। वैसे तो अपने महारथी अपनी गोपनीय सूचनाएँ ज़्यादातर अपने दिमागों में ही सुरक्षित रखते हैं जहाँ ‘विक्की’ के पहुँचने की संभावना शून्य है, फिर भी एहतियात बरतने की आवश्यकता है।
एक और महत्वपूर्ण बात मैं विभाग के माध्यम से सरकार के ध्यान में लाना चाहता हूँ वह यह कि इस आतंकवादी द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली चोरों का डाटा चोरी करने की यह एक नई तकनीक है इसे हमारे देश के स्कूल-कालेजों में सिखाने के लिए विशेष प्रयास किये जाने चाहिये ताकि हमारे देश के लाखों-करोड़ों नौजवान अपनी बेरोज़गारी दूर करने के लिए सरकार के भरोसे ना बैठकर स्वरोजगार के ज़रिए अपना भविष्य सँवार सकें।
नईदुनिया में दिनांक 13.12.2010 को प्रकाशित ।
यह आतंकवादी जिसके बाप का नाम ‘लीक्स’ बताया जाता है, एक नई तरह का आतंकवादी है जो कम्प्यूटर में से गोपनीय सरकारी जानकारियों को चुराने में माहिर है। अमरीका की बहुत सारी गुप्त जानकारियाँ चुराकर उसने अमरीकी गोपनीयता प्रणाली की खटिया खड़ी कर दी है। इसमें सबसे अहम खुलासा जो हुआ है वह अमरीकियों द्वारा दुनिया भर के नेताओं को दी जाने वाली गालियों के संबंध में है। इसके अलावे उसने ऐसी-ऐसी जानकारियाँ चुराने में सफलता हासिल की है जिन्हें चुरा सकने की क्षमता और कुशलता केवल अमरीका के पास ही मौजूद है। अमरीका वाले ‘विक्की लीक्स’ के प्रत्यर्पण की कोशिश में हैं, हो सकता है इस रिपोर्ट के श्रीमान तक पहुँचने के पहले ही उसे अमरीका को सौंप दिया जाए।
समझा जाता है कि इस जानकारियाँ चुराने वाले शख्स की अमरीका को इसलिए ज़रूरत है ताकि उसे पकड़कर दूसरे मुल्कों की गोपनीय जानकारियाँ चुराने के काम में लगाया जा सके। चुराए जाने की दृष्टि से हमारे देश में कई सारी अहम जानकारियाँ है जिन्हें इस आतंकवादी के चुंगल से बचाया जाना बेहद ज़रूरी है। जैसे हमारे देश के नेता लोग यदि दूसरे मुल्कों के शासनाध्यक्षों को गालियाँ देते होंगे तो वे अवश्य ही बहुत गंदी-गंदी होती होंगी और उनका दुनिया के सामने आना हमारे लिए बहुत ही नुकसानदेह होगा। हमारी गालियाँ सारी दुनिया में फैल जाएँगी और यह बौद्धिक सम्पदा अधिकार के हनन का मामला बन जाएगा। फिर, भ्रष्टाचार, दलाली, कमीशनखोरी, यत्र-तत्र-सर्वत्र सांठगांठ, कालेधन संबंधी सूचनाओं का जो भंडार हमारे देश के कम्प्यूटरों में भरा होगा वह तो दुनिया के तमाम सूचनाओं के भंडार से कई गुना ज़्यादा हो सकता है। वैसे तो अपने महारथी अपनी गोपनीय सूचनाएँ ज़्यादातर अपने दिमागों में ही सुरक्षित रखते हैं जहाँ ‘विक्की’ के पहुँचने की संभावना शून्य है, फिर भी एहतियात बरतने की आवश्यकता है।
एक और महत्वपूर्ण बात मैं विभाग के माध्यम से सरकार के ध्यान में लाना चाहता हूँ वह यह कि इस आतंकवादी द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली चोरों का डाटा चोरी करने की यह एक नई तकनीक है इसे हमारे देश के स्कूल-कालेजों में सिखाने के लिए विशेष प्रयास किये जाने चाहिये ताकि हमारे देश के लाखों-करोड़ों नौजवान अपनी बेरोज़गारी दूर करने के लिए सरकार के भरोसे ना बैठकर स्वरोजगार के ज़रिए अपना भविष्य सँवार सकें।
नईदुनिया में दिनांक 13.12.2010 को प्रकाशित ।
यह बौद्धिक सम्पदा अधिकार के हनन का मामला बन जाएगा।
जवाब देंहटाएंबस सब से बडी चिन्ता की बात तो यही है। शुभकामनायें।
सही बात बताई आपने....
जवाब देंहटाएंपाखी की दुनिया में भी आपका स्वागत है.
बताइये, यह विधि तो हमारे यहाँ सिखायी ही नहीं जाती है।
जवाब देंहटाएंbahut badhiya vyangya--kataaksh.
जवाब देंहटाएंअजब दुनिया
जवाब देंहटाएंवाह जी साहब, बहुत ही सुंदर व्यंग... आपने तो मिसायेल ही मार दी है.... कुछ सीख कर चतुर बन लेते है भैया .......
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग सृजन_ शिखर पर " हम सबके नाम एक शहीद की कविता "
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - पैसे का प्रलोभन ठुकराना भी सबके वश की बात नहीं है - इस हमले से कैसे बचें ?? - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा