यहाँँआप पढ़ सकेंगे सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक विसंगतियों पर मेरी व्यंग्य रचनाएँँ। व्यंंग्य परे कभी-कभी कविताएँँ, गज़ल, नाटक अथवा सामयिक आलेख भी यहाँँ डाले जाएंगेे। यदा-कदा ब्लॉग पर आते रहिए।
आपका चिंतन उचित है. होली मनानें के ढंग को समयानुसार बदलने में कोई बुराई नहीं है. परन्तु विचारणीय बाते और भी हैं. जैसे पैदल,साईकिल पर चलने के बजाय स्कूटर,कारों में यात्रा करना,जहाँ जरुरत भी न हो. ट्रेफिक जाम में लाखो टन ईंधन की बर्बादी, पर्यावरण को निरंतर दूषित करते रहना.आदि आदि.
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ. सीधे दिल से निकली, बिना जल और ईंधन का दुरपयोग के. होली के त्यौहार के बारे में आपने जिस तरह से वर्णन किया उससे मैं पूर्णतय सहमत नहीं.भावनाओं का सम्मान भी जरूरी है.
बेकार का, सत्यानाशी, मगज़ खराब करने वाला, फालतू चिंतन। भंग घोटिये, रंग खेलिए, बाहर निकलिये और होली का मस्ती में डूब जाइये। इससे आपका स्वास्थ और मन दोनो शुद्ध हो जायेगा। ..बुरा न मानो होली है।...होली की ढेरों शुभकामनायें।
बहुत अच्छी प्रस्तुति| होली की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ|
जवाब देंहटाएंआपका चिंतन उचित है.
जवाब देंहटाएंहोली मनानें के ढंग को समयानुसार
बदलने में कोई बुराई नहीं है.
परन्तु विचारणीय बाते और भी हैं.
जैसे पैदल,साईकिल पर चलने के बजाय
स्कूटर,कारों में यात्रा करना,जहाँ जरुरत भी न हो.
ट्रेफिक जाम में लाखो टन ईंधन की बर्बादी,
पर्यावरण को निरंतर दूषित करते रहना.आदि आदि.
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
सीधे दिल से निकली, बिना जल और ईंधन का दुरपयोग के.
होली के त्यौहार के बारे में आपने जिस तरह से वर्णन किया
उससे मैं पूर्णतय सहमत नहीं.भावनाओं का सम्मान भी जरूरी है.
वर्ष में एक दिन चिन्तामुक्त बितायें, बाकी दिन के लिये ३६४ समस्यायें तो हैं ही।
जवाब देंहटाएंबेकार का, सत्यानाशी, मगज़ खराब करने वाला, फालतू चिंतन।
जवाब देंहटाएंभंग घोटिये, रंग खेलिए, बाहर निकलिये और होली का मस्ती में डूब जाइये। इससे आपका स्वास्थ और मन दोनो शुद्ध हो जायेगा।
..बुरा न मानो होली है।...होली की ढेरों शुभकामनायें।
अब रंग में भंग क्यों ? होली की शुभकामनायें
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