//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//
चैन से सोना हो तो जाग जाओ।
जाग गए हो तो सुनो। पेश-ए-खिदमत है आज की सनसनी। आज दिनदहाड़े राजधानी में एक बेहद
सनसनीखेज़ घटना दरपेश आई है, जिसकी वजह से समूची राजधानी और
आसपास के क्षेत्रों में दहशत का माहौल बना रहा। खबर है कि राजधानी की एक पॉश
कॉलोनी में, एक नए-नए स्मार्ट पार्क में, एक सीमेंट
कांक्रीट की बैंच पर, एक ज़िन्दा फाउन्टेन पेन पाया गया। जी हाँ, एक
ज़िन्दा फाउन्टेन पेन, जिसके अन्दर नीले रंग की स्याही लबालब भरी हुई थी। हद
हो गई, कमाल हो गया, लापरवाही की इन्तहाँ हो गई।
राजधानी के स्मार्ट पार्क की बैंच पर ज़िन्दा फाउन्टेन पेन! सोचिए, सोचने
की बात है, कि जब टाइट सिक्यूरिटी वाली राजधानी का यह हाल है तो
छोटे-मोटे गाँव-कस्बों का क्या हाल होगा।
विश्वस्त सूत्र बताते है कि
इस स्मार्ट पार्क में कॉलोनी के रसूखदार, पैसे वालों के बच्चें भारी
तादात में मोबाइल और टेबलेटों पर गेम खेलने के लिए पहुँचते हैं। समझा जाता है कि
इसी बात का फायदा उठाते हुए किसी शातिर बदमाश ने मौका देखकर छोटे-छोटे मासूम
बच्चों की बीच वह जिन्दा फाउन्टेन पेन रख दिया, ताकि
उन्हें धोखे से उस खतरनाक चीज़ का शिकार बनाया जा सके, परन्तु एक
जागरूक नागरिक के अदम्य साहस और पराक्रम के कारण एक बड़ा हादसा होते-होते रह गया।
राजधानी के रईसों में
शासन-प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ भारी असंतोष का वातावरण है। ज़ाहिर है,
उनकी सुस्ती और मक्कारी की वजह से अगर यह जिन्दा फाउन्टेन पेन किसी मासूम
बच्चे के हाथ लग जाता तो एक बहुत ही बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। मामले का एक और
सनसनीखेज पहलू यह है कि यदि खुदा ना खास्ता कुछ मासूम बच्चे इस खतरनाक फाउन्टेन
पेन का शिकार बन जाते तो उनके इलाज के लिए राजधानी के किसी अस्पताल में कोई माकूल
व्यवस्था नहीं है।
बताया जाता है कि इस जिन्दा
फाउन्टेन पेन के स्मार्ट पार्क की बैच पर इस तरह संदिग्ध अवस्था में लावारिस पड़े
होने की खबर सर्वप्रथम स्थानीय पुलिस और प्रशासन को देने वाले उस बहादुर शख़्स को
सरकार दो सौ रुपए नगद पुरुस्कार स्वरूप प्रदान कर सम्मानित करना चाहती हैं,
साथ ही उसका नाम बहादुरी पुरुस्कारों के लिए प्रस्तावित करने की तैयारी भी
चल रही है। समस्या यह हो गई है कि उक्त व्यक्ति पुलिस द्वारा इस प्रकरण में जबरन
फँसा दिये जाने के डर से भूमिगत हो गया है।
इधर संपन्न नागरिकों की
कालोनी में इस तरह खुले आम एक जिन्दा फाउन्टेन पेन पाए जाने से शहर भर के
बुद्धिजीवियों, राजनैतिक हलकों, व्यापारी
वर्ग एवं नौकरशाही में भी चिन्ता की एक प्रचंड लहर दौड़ गई है। समाज के सभी कोनों
से घोर आश्चर्य प्रकट किया जा रहा है कि जब तमाम आला दर्जे के फाउन्टेन पेन एकाएक
परिदृष्य से गायब हो चुके हैं तो आखिर एक दोयम दर्जे का घटिया सा फाउन्टेन पेन इस
तरह खुलेआम पार्क की बैंच पर कैसे पाया जा सकता है! किसकी हो सकती है यह दुस्साहस
पूर्ण हरकत! किस की शामत आई है जो इतिहास से करीब-करीब विदा ले रहे फाउन्टेन पेन
को फिर से मुख्य धारा में लाने की नीच हरकत करने पर उतारू हो पड़ा है। कौन हो सकता
है जो चाकू-छुरे और नंगी तलवार के इस ज़माने में फाउन्टेन पैन के जरिए लाल, नीली,
हरी, काली रोशनाई से कागज रंगने का मंसूबा बना रहा है!
सभी सामाजिक संगठनों में इस
घटना को बेहद संदेहास्पद दृष्टि से देखा जा रहा है। कुछ उत्साहीलाल तो इस घटना में
पाकिस्तान का हाथ होने की संभावनाओं की ओर भी इशारा कर रहे हैं जबकि कुछ संगठनों
का मानना है कि जिस मुल्क को सुई तक बनाने की तमीज़ नहीं है उसके द्वारा इतना बड़ा
फाउन्टेन पेन बनाकर भारत की राजधानी के पार्क की बैंच पर रखवाया जाना बिल्कुल संभव
नहीं है।
सरकार ने भी घटना की
गंभीरता के मद्देनज़र एक सर्वदलीय बैठक आहूत कर अपनी चिंता सार्वजनिक की है। मामले
की पुख्ता जॉच के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों का आठ-दस सदस्यीय जॉच आयोग
बिठाने की घोषणा की गई है एवं पुलिस महकमें को कड़ी लताड़ लगाते हुए भविष्य में ऐसी
घटनाओं के प्रति चौकस रहने के निर्देश दिये गए हैं। सनसनी द्वारा मामले पर पुलिस
प्रमुख की राय जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने कहा कि संदिग्ध फाउन्टेन पेन को
ज़ब्त कर सूक्ष्म जॉच के लिए गोपनीय रूप से एक अन्तर्राष्ट्रीय लैब को भेज दिया गया
है। पुलिस प्रमुख ने कहा है कि षड़यंत्रकारियों द्वारा शासन-प्रशासन को मूर्ख बनाने
की दृष्टि से फाउन्टेन पेन को पार्क की बैंच पर छोड़ा जाना संभावित है। इसे किसी भी
कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हमारा मनोबल ऊँचा है और हम
ऐसी दुर्घटना दोबारा नहीं होने देंगे। विदेशों से सम्पर्क कर शीघ्र ही फाउन्टेन
पेन जैमर की व्यवस्था की जा रही है ताकि यदि शहर में कहीं और भी जिन्दा फाउन्टेन
पेन मौजूद हों तो उनको निष्क्रिय कर संभावित खतरों को टाला जा सके। शहर भर में
जगह-जगह चैक पाइन्ट लगाए जाएंगे और चौकसी बढ़ाई जाएगी। ब्लेक केट कमान्डोंज़ को
सतर्क कर दिया गया है ताकि किसी भी संदिग्ध फाउन्टेन पेन धारी को देखते ही छापामार
कार्यवाही कर उसे दबोच लिया जाए।
बरसों से बंद पड़ी फाउन्टेन
पेन बनाने वाली कम्पनियों की एक एसोसियेशन के पूर्व अध्यक्ष ने घटना पर घोर
आश्चर्य प्रकट करते हुए बताया कि हमारी एसोसियेशन के सदस्यों द्वारा पूरी तौर पर
फाउन्टेन पेन बनाने का धंधा बंद कर दिया गया है और अब हम लोग चाकू-छुरे, कट्टे-तमंचे,
तलवारें और देसी बम बनाने का काम कर रहे हैं। हमारे कुछ सदस्यों ने तो पान
की दुकानें खोल ली है। ऐसे में कैसे और कहाँ से राजधानी में एक जिन्दा फाउन्टेन
पेन आ गया यह हमारी बंद हो चुकी एसोसियेशन के लिए भी घोर आश्चर्य का विषय है। मुझे
शक है कि हमारी एसोसियेशन के कुछ बागी सदस्य अब भी चोरी-छुपे फाउन्टेन पेन बनाने
का अनैतिक कृत्य कर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसे देशद्रोहियों को जल्द से जल्द
गिरफ्तार कर फाँसी पर चढ़ा दिया जाए जिन्होंने मानवता को शर्मसार करने में कोई
कोर-कसर नहीं छोड़ी है।
नामी पत्र-पत्रिकाओं से
जुड़े पत्रकारों साहित्यकार-लेखकों की एक एसोसियेशन ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर
कहा है कि-समाज की मुख्य धारा के साथ चलते हुए हम लोगों ने कब का अपना-अपना
फाउन्टेन पेन सरेन्डर कर दिया है। हम में से कोई भी अब उस मनहूस वस्तु की ओर देखता
भी नहीं है। सब लोग कम्प्यूटर, लैपटॉप और टेबलेट पर लेखन एवं
पत्रकारिता कर्म करके अपना सामाजिक दायित्व निभा रहे हैं। सरकार ने समय-समय पर
इसके लिए हमारे कुछ साथियों को पुरुस्कृत भी किया है। एसोसियेशन ने आलोचना करते
हुए कहा कि कुछ फ्रीलांस वाले सिरफिरे हो सकता है अब भी अपने गिफ्ट में मिले
फाउन्टेन पेनों में, एक-दूसरे का मुँह काला करने के काम आने वाली, देश
की अमूल्य संपदा, ‘स्याही’ का इस्तेमाल कर कागज काले कर रहे
हों, जो कि घोर निंदा का विषय है। एसोसियेशन ने ऐसे ही किसी बंदे
के इस घटना में शामिल होने की संभावना प्रकट की है जो पार्क में मुफ्त की हवाखोरी
करते हुए लेखन जैसा असामाजिक कृत्य करने का आदी हो। एसोसिएशन ने कहा है कि यह आम
जन साधारण एवं शासन-प्रशासन की सूझबूझ और सतर्कता का ही परिणाम है कि किसी
विध्वंसक लेख, कविता, व्यंग्य, कहानी या
रिपोर्ताज के सामने आने से पहले ही उस फाउन्टेन पेन को देख लिया गया एवं फूर्ती से
उसे जिन्दा हालत में कब्जे में लिया जाकर अत्यंत प्रशंसनीय कार्य किया गया।
करीब एक माह बाद
अन्तराष्ट्रीय लैब को गोपनीय रूप से भेजे गए उक्त फाउन्टेन पेन की जाँच रिपोर्ट,
लीक होकर बाहर आई। रिपोर्ट में वह खतरनाक फाउन्टेन पेन, नकली
चाइनीज़ फाउन्टेन पेन एवं उसमें भरे द्रव्य को नकली नील के पानी के रूप में पहचाना
गया। रिपोर्ट में भारत द्वारा घटिया चाइनीज़ सामान तक का डुप्लीकेट बना लिए जाने की
धृष्टता पर भारी नाराज़गी दर्शाने वाली टीप दर्ज की गई थी और उसे चाइनीज़ हाइलाइटर
से रंग भी दिया गया था। दरअसल फाउन्टेन पेन को जाँच के लिए गोपनीय रूप से जिस
अन्तर्राष्ट्रीय लैब को भेजा गया था इत्तेफाक से वह लैब एक चाइनीज़ लैब थी। यह कैसे
हुआ इसकी भी जॉच किये जाने की संभावना है।
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इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंऐसा क्यों किया भाई?
हटाएंप्रमोद जी आपने जिस प्रकार से एक पेन को लेकर एक सामाजिक सन्देश दिया है वह बहुत ही अद्भुत है ये आज का समाजिक चित्रण है कि किस प्रकार एक छोटी सी चीज को भी मीडिया कहाँ से कहाँ पंहुचा देती है आप अपनी इसीप्रकार अकल्पनीय रचनाओं को शब्दनगरीपर भी प्रकाशित कर सकते हैं जिससे आप की रचनाएं और लोगो तक पहुंच सके.........
जवाब देंहटाएंविलंबित धन्यवाद। शब्दनगरी को देखता हूँ। ज़़रूर पोस्ट करूंगा रचनाएं।
हटाएंVery informative, keep posting such good articles, it really helps to know about things.
जवाब देंहटाएंSure Sir. Thankyou very Much.
हटाएंविलंबित धन्यवाद।
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