//व्यंग्य-प्रमोद
ताम्बट//
पुलिस विभाग को कांट्रेक्ट बेसिस पर प्रखर कल्पनाशील
कहानीकारों की आवश्यकता है जो कि उपलब्ध कराए गए मौका-ए-वारदात पर फौरन उपस्थित
होकर विभागीय एनकाउन्टर्स, हवालात में मारपीट के बाद मृत्यु,
दबिश,
पब्लिक पर किये गए ज़ुल्मों
इत्यादि पर शीघ्रातिशीघ्र एक प्रभावी और विश्वसनीय कहानी एवं चित्तलोचक पटकथा
लिखकर प्रस्तुत करने में माहिर हो।
अभ्यर्थी का अनुभवी एवं लोकप्रिय कहानीकार होना
अत्यंत आवश्यक है। कहानी विधा के साथ-साथ वकालत की पढ़ाई के असली प्रमाण-पत्र धारी
ऐसे अभ्यर्थियों को चयन में प्राथमिकता दी जाएगी जो कूटरचित कहानी में कानूनी पहलू
से पुलिस का पक्ष बेहद मजबूती से प्रस्तुत कर सकें, जिसमें बचाव पक्ष का वकील अथवा जज साहेबान और
प्रेस-मीडिया के जासूस भी लूपहोल न ढूँढ़ सके।
अभ्यर्थी यदि कहानीकार के साथ-साथ मनोविज्ञान का
विद्यार्थी भी रह चुका हो तो उसे प्राथमिकता दी जाएगी। ध्येय है आमजनता,
प्रेस-मीडिया,
प्रबुद्धजन,
राजनीतिकों के मनोविज्ञान के
हिसाब से कहानी में इन्सटंट मनोवैज्ञानिक प्रभाव उत्पन्न किये जा सकें और
अच्छे-अच्छों की सिट्टी-पिट्टी गुम की जा सके।
अभ्यर्थी यदि युवा अवस्था में कर्नल रंजीत,
सुरेन्द्र मोहन,
ओमप्रकाश शर्मा के उपन्यासों
का अध्येता रहा है एवं स्वयं अपराध कथाओं का लेखक एवं
अपराध पत्रिकाओं में
लेखन-सम्पादन का अनुभवी रहा हो तो उसे प्राथमिकता दी जाएगी। इससे अपराधियों की सम्पूर्ण
आपराधिक पृष्ठभूमि के त्वरित अध्ययन एवं विष्लेषण पश्चात कहानी का आकल्पन सुनिश्चित
होगा एवं विश्वसनीयता का फर्जी वातावरण निर्मित करने में सहायता होगी।
अभ्यर्थी यदि बी ग्रेड की हिट अपराध फिल्मों की
कहानी एवं पटकथा लेखन से जुड़े रहने का अनुभव रखता है तो उसे प्राथमिकता दी जाएगी।
पुलिस विभाग की कहानियों के घिसे-पिटे शिल्प और शैली से मुक्ति पाने के लिए कहानी
में कहानी, ड्रामा,
सस्पेंस के साथ-साथ थ्रिल
भी होना आवश्यक है जिससे बच्चे भी पेश की गई कहानी के धुर्रे न उड़ा सकें एवं आँख
बंद कर के उसे सच मान लें।
फोटोग्राफर जर्नलिस्टों को सर्वोच्च
प्राथमिकता दी जावेगी, उन्हें कूटरचित कहानी की पुष्टि हेतु फोटो
खींचकर प्रस्तुत करना होगा ।
ऐसे आदर्शवादी अभ्यर्थी जिन्हें यथार्थवादी लेखन
का चस्का है अथवा जो नई-पुरानी कहानी के छूत रोग से ग्रस्त हो या जो उद्देश्यपरक
साहित्यिक पत्रिकाओं, प्रगतिशील-जनवादी लघु पत्रिकाओं में लेखन कार्य
करते हों, जिनकी
कहानियाँ सच्चाई से साक्षात्कार कराने की फ़र्ज़ी क्रांतिकारिता से ग्रस्त हों
या जो कहानीकार स्थानीय पुलिस थाने में संदिग्ध बुद्धिजीवी के तौर पर निगरानी
शुदा हों,
उन्हें पुलिस कहानीकार के इस
प्रतिष्ठापूर्ण पद हेतु आवेदन करने की ज़हमत उठाने की कतई आवश्यकता नहीं है।
महत्वपूर्ण सूचना - अभ्यर्थी अभी हाल ही में
घटित दो अथवा तीन पुलिस एनकांउटरों में प्रचारित की गई कहानियों में की गई गंभीर त्रृटियों-खामियों
के ऊपर अपना विस्तृत लेख तैयार कर प्रस्तुत करेंगे जिसके लिए उन्हें पृथक से
नम्बर दिये जाएंगे। मेरिट में आने वाले अभ्यर्थियों को तत्काल पुलिस मुख्यालय
में उपस्थित होकर अपनी ज्वाइनिंग देना होगी।
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बढ़िया व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर।
हटाएंबहुत बढ़िया व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जेन्नी जी।
हटाएंबहुत बढ़िया और सटीक व्यंग्य। शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद जेन्नी जी।
हटाएंक्या बात है !
जवाब देंहटाएंरेखा श्रीवास्तव
धन्यवाद रेखा जी। कोई बात नहीं है।
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