व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट
च्याइला! अपून एक-एक के कान के नीचे बजाएगा, कोई भंकस नहीं मँगता है। हिन्दी साइडर लोग को वार्निंग करके बोलता है कि इधर हँसने का तो मराठी में, रोने का तो मराठी में, गाना गाने का, खाना खाने का, सब मराठी में। कोई भी महाराष्ट्र के बाहेर का आदमी होय मराठी मेंइच सब काम करने का। मराठी मानूस के ऊपर पिच्छू बासठ साल से ‘हिन्दी’ में चल रहा जुलुम अब बंद होने कुइच मँगता है।
इधर अपून नक्की करके दियेला है कि चौपाटी पर दरियाव का लाट का जो आवाज आता है वो भी मराठी मेंइच आने कू मँगता है। उधर गेटवे ऑफ इन्डिया पर कबूतर लोग का लो फड़फड़-फड़फड़, गूटरगू-गूटरगू का आवाज आता है वो भी मराठी मेंइच मँगता है। मिल का भोंपू, लोकल ट्रेन का खड़-खड-खड़:फड़-फड़-फड़, मोटार, गाड़ी, ऐटो, विमान सबका आवाज मराठी में आने कोइच मँगता है। नई आएगा तो अपून अख्खा मुम्बई को आग लगा डालेगा।
पिच्चर जो इधर निकालता है सब मराठी मेंइच निकालने को मँगता है। अमिताच्चन को बोलने का है तो मराठी में बोलना मँगता है, शारुक को हकलाने का है तो मराठी मेंइच हकलाने को मँगता है । पिच्छू का अख्खा पिच्चर मदर इंडिया, मुघलेआझम, पाकीजा, सब अभी मराठी में ट्रांसलेट करने को मँगता है। शोले, बोले तो मराठी में डब करके दिखाने का। धर्मेन्दर का डायलाग अइसा होने को मँगता है - वसंती, ह्या कुत्र्यांच्या समोर नाचू नकोस! नया नया सब पिच्चर अभी मराठी में निकालने का, नई तो सब थेटर का पड़दा हम लोग राकेल डालकर फूँक डालेगा।
ये सब जो फाईस्टार में फैशन शो वगैरा में सब अउरत लोग नागड़ेपना चलाता है, अइसा अभी हम लोग बर्दाश्त नहीं करेगा। फैशन शो करने का है तो खूब करो पन लड़की लोग मराठी बाई के जैसा नउवारी लुगड़ा डालकर रेंप पर चलने कू मँगता है। उधर बिल्कुल गजरा-बिजरा डालकर रापचिक मराठी कल्चर दिखने कू मँगता है।
भाईगिरी, गुंडागिरी, टपोरीगिरी, मवालीगिरी जितना मर्जी करो वांदा नई, पन ये सब अगर हिन्दी भाषे में किया तो खबरदार! अख्खा मुम्बई का सेठ लोग कू जो मर्जी वो करने का, मिल खोलने का, शट डाउन-तालाबंदी करने का, गरीब मजदूर लोग का खून चूसने का, जोर-जुलुम सब करने का, पन ये सब हिन्दी में बिल्कुल चलने को नई मँगता। कोई भी मजदूर का हक अगर ‘हिन्दी’ में मारा तो हम उसको ‘मराठी’ में मार-मारकर हाथ-पाँव तोड़ डालेगा।
सब च्यॉनल वाला प्रोग्राम, नेशनल टी.व्ही. च्यॉनल, ऑल इंडिया रेडियो सब हमकू मराठी में दिखने-सुनने कू मँगता है। कुछ भी करने का, इन्टरप्रेटर लगाने का, ट्रांसलेटर लगाने का, स्टूडियों में भलेइच आवाज हिन्दी में एयर होए मगर इधर मुम्बई में आकर मराठी मेंइच सुनाई देने को मँगता है।
अख्खा शाइर लोग, पोएट अउर रायटर लोग मुंबई में अड्डा जमाके, मराठी का खाके, मराठी का पीके, मराठी हवा में श्वास लेके हलकट, हिन्दी में लिखता है। अभी हम बोलता है सब साला मराठी में लिखना शुरु करने का। हिन्दी पोयट्री, कहानी, कादम्बरी सब मराठी में लिखने का। गझल मराठी में बोलने का। इधर राजभाषा का अख्खा कारीक्रम हिन्दी में कर-करके तुम लोग दिमाग का दही करके रखेला है। अभी अइसा नहीं चलने कू मँगता है। हिन्दी डे का पखवाड़ा का सब प्रोग्राम मराठी में करने को मँगता है, नई तो मराठी में मार खाने कू तैयार रहने कू मँगता है।
अभी सब हिन्दी साइडर लोग को फायनल बोलता है, अख्खा इंडिया होएगा तुम्हारा राष्ट्र, अपून का राष्ट्र बोले तो महाराष्ट्र! हिन्दी होयेगा तुम्हारा राष्ट्रभाषा अपून का राष्ट्रभाषा बोले तो मराठी है। अभी अपून को अभी के अभीच्च राष्ट्रगान मराठी में ट्रांसलेट करके मँगता है, तिरंगा भी अख्खा के अख्खा मराठी कलर में तैयार करके मँगता है। जब 'हमारा' तिरंगा झेंडा मराठी में फर्र-फर्र बोलके फहराएगा तो हम सब मराठी मानूस लोग एक स्वर में अपना राष्ट्रगान मराठी में गाएँगा - ज़न गण मन अधिनायक........ और तुम सब हिन्दी साइडर लोग अगर मराठी का जागा में हिन्दी में सूर मिलाया तो कान के नीचे एक रखके देगा, फिर बोम मारते बैठने का हिन्दी मेंइच। मुम्बई का डॉन कौन ? अपून ! एक एक को बोल के रखता है भंकस नई करने का।
जी, आपकी जय हो..कौन भंकस करे. :)
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया व्यंग...हिंदी में लिखा .. मराठी में पढने का....
जवाब देंहटाएंभा हा हा तब तो जरूरी है कि टिप्पणी भी मराठी मे होनी चाहिये महाराष्ट्र के ब्लागरों के लिये । बहुत बडिया व्यंग । अब चलती हूँ मुझे मरठी मे भूख लग गयी हिन्दी मे लगती तो रोक लेती कुछ देर । हा हा हा
जवाब देंहटाएंभाष का गजब है इस व्यंग्य में।
जवाब देंहटाएंapun to chalee marathee seekhne....bahut zabardast vyangya...badhaaiiiiii
जवाब देंहटाएंप्रमोद जी,
जवाब देंहटाएंआपका ब्लाग पढ़ा, क्या धाँसू लिखा है...मराठी-हिन्दी में कहूँ तो। प्रतिक्रिया लिखनी चाही पर अपनी नादानी पर तरस आता है कि कहीं लिखने की जगह ढूँढ नहीं पाई..खैर, मित्र! आपने बहुत सुन्दर, सरल तरीके से बहुत से कड़वे सचों से परदा उठाया है..बहुत, बहुत बधाई।
शैलजा सक्सेना
साँझेपल.ब्लागस्पाट.कॉम