//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//
26 जनवरी। गणतंत्र दिवस। ‘गण’ बोले तो पब्लिक, अख्खा पब्लिक, गरीब-अमीर, दानी-भिकारी, चोर-साहूकार, गुंडा-पुलिस, नेता-वोटर, व्यापारी-ग्राहक, किसान-ऋणदाता, पार्टी-दलाल, कार्पोरेट जगत और आम पब्लिक, आम पब्लिक और माफिया, सब भीड़ूलोग का रिपब्लिक बोले तो गणतंत्र।
अभी क्या है कि अँग्रेज लोग अपन को छोड़के किधर तो भी भाग गिया, तो अपुन अलग-अलग जात का लोग, अलग-अलग भाषा का लोग, अलग-अलग फिरका का लोग, अलग-अलग कल्चर वाला सब एकट्ठा होकर अपना रिपब्लिक बनाया। आपस में लड़ने का, भिड़ने का, गाली-गुफ्तार करने का, एक-दूसरे का घर में आग लगाने का, पर एक रिपब्लिक का जैसा रहने का। अपना पब्लिक लोग का किछु भी हाल होवे, होने देने का पर बिल्कुल एक शाणा-समझदार पब्लिक के जैसा बिहेव्ह करने का।
इधर रिपब्लिक डे को सब सरकार लोग फंक्शन करता। सेन्ट्रल गवर्नमेंट वाला उधर दिल्ली में और स्टेट गवर्नमेंट वाला अपना स्टेट में एक बड़ा सा मैदान में लेफ्ट-राइट परेड करता है। सब डिपार्टमेंट वाला पैसा खर्च करके अपना-अपना झाँकी बनाता है और अख्खा दुनिया को दिखलाता है। रंग-बिरंगा झाँकी में सब पुतला लोग डाँस करता है। पिच्छु बासठ साल में अपुन क्या-क्या किया सब झाँकी दिखाता है। अभी हम बोलता है कि वो सब तरक्की का बात पुराना हो गिया, अभी कुछ नया करने को माँगता है।
हम आइडिया देता है। मेंगाई का पुतला बिठाने का, पीछु ट्रालर पर कांदा-लस्सुन, सब भाजी-पाला, दाल-तेल वगैरा-वगैरा का बड़ा-बड़ा मॉडल बनाकर दुनिया दिखाने को माँगता है, कि भई अभी देख लो पीछु देखने को नई मिलेंगा। करप्शन का पुतला बिठाने को माँगता है कि देखो रे हम दुनिया का दूसरा किसी भी करप्ट मुलुक लोग से पीछु नई है। पुतला का एक टाँग बड़ा-बड़ा ‘खोखा’ ‘पेटी’ पर जोर से जमेला होएँगा जिसमें से हज़ार-हज़ार का नोट इधर-उधर निकल कर पड़ा रहेंगा। एक झाँकी आदर्श बिल्डिंग का होएँगा, एक झाँकी बड़ा अंबानी भाई का मल्टी स्टोरीड हाउस का रहेंगा, एक झाँकी स्विस बैंक में जमा हमारा रुपी को माउँट एवरेस्ट जैसा पहाड़ का माफिक जमाकर दिखाने का और साथ में हमारा गवर्नमेंट दिखाने का जिसका मोह में मेडीकल टेप चिपकेला है।
हम लोग का गरीबी, भुकमरी, बेरोज़गारी, बीमारी, कुपोषण, पढ़ाई-वढ़ाई किसान भाई लोग का सब प्रोबलेम अभी साल्व हो गएला है, इसलिए हम लोग अभी पेट भर के करप्शन करने में लग गएला है। सब टाइप का करप्शन इधर मँगता है तो देखने को मिलेंगा। अभी क्या करने का ! अँग्रेज लोग अपन को छोड़ के किधर तोभी भाग गिया, तो अब इतना बड़ा रिपब्लिक का कामकाज तो चलानाइच माँगता है ना। इकनामिक प्राबलम सब कार्पोरेट वाला लोग सम्हालता है, करप्शन का काम गवर्नमेंट सेक्टर देखता है, चोर-डाकू-पुलिस लोग सब अपना-अपना काम करता है, गरीब लोग सब भूखा मरने का काम करता है। ऐसा मिलजुलकर हम अपना रिपब्लिक चला रहेला है। सब भाई लोग को रिपब्लिक डे का बधाई, शुभकामना बोलता है।
बहुत ही अच्छा व्यंग्य.
जवाब देंहटाएंआप सब को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं.
सादर
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गणतंत्र को नमन करें
गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ....
जवाब देंहटाएंझाँकियाँ समस्याओं और घोटालों की भी निकले।
जवाब देंहटाएंशानदार है गणतंत्र दिवस का यह उपहार .बहुत-बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा और रोचक लगा पढ़ना| लेकिन प्रमोद जी ने ''सभी भाई लोग को रिपब्लिक डे का बधाई'' बोला है, बहनों का क्या कसूर... ??? बोले तो आजकल बहिन जी लोग का भी बोल बाला है, उनको भी बधाई देने का, कोई पंगा नहीं लेने का, वरना बहिन जी हाथी के साथ पहुँच जावेंगी और चिल्लावेंगी ''हमका क्यों न बधाई बोला, बिना हमारे गणतंत्र चलेंगा क्या, क्या सिर्फ भाई लोग हीं घोटाला और लफड़ा करेगा, हम पीछे हैं क्या, क्यों बोल... प्रमोद भाई ? ज़रा संभल कर प्रमोद जी|
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की बहुत बधाई!
वाह बहुत उम्दा। सचमुच पढ़कर मजा आ गया। आपने इस व्यंग्य के माध्यम से देश की सही तस्वीर प्रस्तुत की है। मेरी तरफ से सभी को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंसबको अपना काम दिखाने का है,हाथ साफ करने का है, सब हाथ साफ करने मे लगा है, कोई झंडा किसी चौक पर फेराने की ज़िद कर के बेठा है, कोई राजघाट पर अनसन पर बेठा है, सब अपना काम कर रहा है, कोन बड़ा देश भक्त है, कोन सबसे जयदा झंडे को मान देता है, अपनो से लड़े ,ज़िद करे, घोटालो को भूल जाए ,गरीबी तो अब है नही, चारो तरफ खुशी ओर ईमानदारी है, आओ
जवाब देंहटाएं26 जनवरी के दिन . कुछ अच्छा लिखा,जो आपने लिखा है, सबको पड़ना चाहिए, दादा फिर से बधाई,
खूब है जी खूब। बखूबी उधेड़ा है। हिन्दी का प्रयोग न करना अपराध घोषित हो
जवाब देंहटाएंशानदार व्यंग.
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस पर आपको भी शुभकामनाएँ...
बहुत अच्छा व्यंग
जवाब देंहटाएंगणतन्त्र दिवस की शभ कामनाएँ
नित नित रोज नयी खुशियाँ आयें
आपने भाई लोग लिक्खा
मै तो दादी हूँ
आशीर्वाद
मस्त है, बोले तो एक दम पटाखा फोड़ा है, ये रिपब्लिक है आज के दिन पटाखा फोड़ने का नहीं, अपने रिपब्लिक में शांती से रहने का और खुश होने का :)
जवाब देंहटाएंसर बढ़िया लिखा है, ये लेख तो बुकमार्क कर लिया मैंने
बहुत खूब व्यंग है। बधाई। गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें..
जवाब देंहटाएंसटीक
जवाब देंहटाएंणतंत्र दिवस पर शुभकामना
achcha vyang likhe hain.
जवाब देंहटाएंइस देश में असल गणतंत्र दिवस तब होगा जब इस देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पदों पर बैठे लोग देश की जनता के भूख और लाचारी के पैसों से प्रायोजित करोड़ों की सुख सुविधा को त्याग देंगे......और कोई भी हिन्दुस्तानी भूखा नहीं होगा और बोलेगा...........गणतंत्र दिवस.......मनाइए........अभी तो एक करोड़ लोगों का भोजन एक भ्रष्ट मंत्री खा जाता है ........
जवाब देंहटाएं30 जनवरी 2011 को भ्रष्टाचार के खिलाप जनयुद्ध में दिल्ली के रामलीला मैदान में शामिल होइए या इसे अपने शहर में ऐसे जनयुद्ध को शुरू कीजिये.....
२६ जनवरी पर देश की झांकी निकल दी , आपने . गणतंत्र दिवस की बधाइयाँ .
जवाब देंहटाएंhttp://119.82.71.95/haribhumi/Details.aspx?id=13337&boxid=29074508 यह हरिभूमि में आज 28 जनवरी 2011 को प्रकाशित लेख का लिंक।
जवाब देंहटाएंक्या वाकई में हम एक दूसरे को शुभकामनायें देने के काबिल हैं..
जवाब देंहटाएंसटीक चोट की है हम लोगों पर आपने ...हम ऐसे ही हैं भाई जी !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
verywell written sanju
जवाब देंहटाएंverywell written.keep it up sanju
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