//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//
जब से ‘‘कण-कण में भगवान’’ का नितांत मौलिक,
भारतीय चिन्तन कानों
में पड़ा तब से यह मूरख उन कणों की तलाश में दर-दर भटक रहा था जिनमें भगवान निवासरत
हों। हालाँकि मेरे सम्मुख यह एक विराट प्रश्न हमेशा मौजूद था कि जब मुझे रहने के लिए
कम से कम दस बाई दस का एक सर्वसुविधा युक्त कमरा ज़रूरी है तो भगवान महाशय ‘कण‘ जैसी छोटी सी जगह में कैसे
रहते होंगे। और, चलो मान लिया किसी जादू-टोने के बल पर या हाथ की सफाई, अथवा भ्रम का सृजन कर किसी तरह वे
उस कण में पहुँच भी गए तो फिर यह कैसे संभव है कि वे एक ही समय में, एक साथ करोड़ों, अरबों, खरबों कणों में जा विराजें,
वहीं से एक साथ अपने
दैनिक क्रियाकर्म एवं ब्रम्हांडीय ज़िम्मेदारियाँ निभाएँ। ऐसे ही हज़ारों सवाल अपने मन-मस्तिष्क
में लिए बंदा अक्ल आने के बाद से ही अपना सिर धुनता रहा है और ज़माने भर के ज़िम्मेदार
लोग ‘पागल है’
कह का अपनी ज़िम्मेदारियों
से पल्ला झाड़ते रहे।
अब ज़बरदस्त शोर उठ खड़ा हुआ है- गॉड
पार्टिकल मिल गया, गॉड पार्टिकल मिल गया। फिर मेरे समक्ष प्रश्नों की झड़ी लग गई है! क्या वह कण मिल
गया जिसमें ‘गॉड’ यानी
‘भगवान’
रहता है या बात ‘ईसाइयों’ के ‘गॉड’ के मिलने की की जा रही है,
भगवान का उससे कोई
लेना-देना नहीं है। अथवा वह आदि ‘कण’ मिल गया जिसे सर्वप्रथम गॉड या भगवान ने बनाकर खुला छोड़ दिया
था कि जा बेटा चक्रवर्ती ब्याज की तरह अपनी संख्या बढ़ाता जा और ब्रम्हांड रच दे। ऐसे
में तो विश्व ब्रम्हांड और मानव समाज की उत्पत्ति के सभी धार्मिक फार्मूले ध्वस्त हो
जाएँगे।
इधर वे वैज्ञानिकगण भी मेरे शक के
दायरे में आ गये हैं जो कोई एक नया ‘कण’ देखकर बावले हुए जा रहे हैं। हमें तो छँटवी कक्षा में साइंस
टीचर ने बताया था कि दुनिया में ऐसी कोई वस्तु नहीं है जो दो भागों से मिल़कर न बनी
हो, अर्थात
अणु-परमाणु, अथवा महीन से महीन संरचना के दो टुकड़े किये जा सकते हैं, हर एक भाग को फिर-फिर तोड़ा
जा सकता है। बात मानने लायक भी है। ऐसे में उस मिल गये रहे तथाकथित गॉड पार्टिकल के
मिलने की खुशी की जगह फिर से उसे तोड़ने का टेन्शन वैज्ञानिकों को ज़्यादा होना चाहिए।
आखिर यह भी तो एक काफी बड़ा चुनौती भरा काम है। पहले उस कण को पकड़ो फिर फिक्स करो,
जैसे बॉक पर लकड़ी फिक्स
करते हैं, फिर उसे तोड़ो। तोड़ते जाओ, तोड़ते जाओ। हरेक टूट के बाद क्या तमाशा होगा कोई नहीं जानता।
अमरीकियों ने कम्बख्त परमाणु को तोड़कर हिरोशिमा और नागासाकी पर पटक दिया था तो वहाँ
आज तक घास नहीं उग रही है और बच्चे विकलांग पैदा हो रहे हैं। इस हींग-बोर पार्टिकल
को तोड़ने का पराक्रम पता नहीं क्या हंगामा बरपाएगा। ऐसी स्थिति में आखिर ‘गॉड पार्टिकल’ मिलेगा तो मिलेगा कैसे!
बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंकोई भगवान को कण कण में देख रहा है, कोई भगवान को कोण कोण में देख रहा है, अपनी तरह कोई नहीं देख रहा है..
जवाब देंहटाएं