//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//
कुछ ही घंटों में ‘आम’
बजट आने वाला है। इससे पहले कि टी.वी. वाले बजट पूर्व अनुमानों का कलरव
शुरू करें, पेश-ए-खिदमत है आने वाले बजट की कुछ ऐतिहासिक घोषणाओं
का पूर्व अनुमान। समझा जाता है कि इस बार ‘आम-बजट’ में
सचमुच ‘आम’ लोगों के लिए ही सब कुछ होगा और
खास लोग इसके आगमन से भारी ठगा हुआ महसूस कर उपद्रव करेंगे।
इसकी विशेषता होगी कि यह
बजट हमेशा की तरह ‘घाटे’ का बजट न होकर बंफर ‘फायदे’
का बजट होगा, और बजट में दर्शाए जाने वाले ‘फायदे’
को आम जनता के बीच बराबर-बराबर बाँटने के लिए समुचित प्रावधान किये जाएंगे
ताकि जनता के सिर पर लदे हुए राष्ट्रीय कर्ज़ का बोझ कुछ हलका हो सके और वह सुभीते
से चल-फिर सके।
आम जनता को जबरदस्त झटका
लगेगा कि इस बार आटा, दाल, चावल, नून,
तेल सब कुछ बेहद सस्ता कर दिया जाएगा। रोटी कपड़ा मकान आम आदमी की इतनी पहुँच
में आ जाएंगे कि ‘परोपकारी राज्य’ की
संवैधानिक अवधारणा से भी ऊपर उठकर ‘समाजवादी समाज’ का
भ्रम पैदा हो जाए। बजट की इस करतूत से बड़ी संख्या में आम जनता कुंठित होकर
आत्महत्या जैसे कदम उठाने के लिए प्रेरित हो जाएगी क्योंकि ज़ालिम बाज़ार से मुकाबले
के लिए रात-दिन बस कमाई की जद्दोजहद में काले-पीले काम करने की मजबूरी के समाप्त
होने से उनके सामने जो खालीपन आ खड़ा होगा, उसको भरने के लिए उनके पास
कोई रचनात्मक रास्ता नहीं होगा।
शिक्षा-दीक्षा से संबंधित
सारे खर्चों की जिम्मेदारी सरकार खुद अपने सिर पर ले लेगी, ऊँची से ऊँची
पढ़ाई के लिए फीस की अनिवार्यता समाप्त हो जाएगी एवं पाठ्य पुस्तकें और तमाम शिक्षण
सामग्री मुफ्त में उपलब्ध होगी। जरूरी हुआ तो नालायक बच्चों को फीस दे-देकर पढाया
जाएगा।
बिड़ी-सिगरेट-तमाकू और
देसी-विदेशी शराब, तमाम ड्रग्स, भांग, अफीम,
चरस इत्यादि पर महँगाई कि जबरदस्त मार होगी और ये सिर्फ खास बड़े-बड़े रईस
लोगों की पहुँच मात्र में ही रह सकेंगे। राजस्व के नुकसान से बचने के लिए कीमत को
ऐसे अनुपात में बढ़ाया जाएगा कि आम जनता द्वारा मजबूर होकर इन लतों को छोड़ने से
सरकारी खज़ाने पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े और सरकार की कमर सही सलामत रहें। जीवन रक्षक
दवाइयाँ, टानिक्स, ग्लूकोस, टिंचर,
आयोडीन और तमाम सर्जिकल आयटम्स की कीमतें ज़मीन पर पटककर इन्हें घरेलू
उद्योग के दायरे में लाया जाएगा ताकि पान-बिड़ी सिगरेट की दुकानों के प्रोपराइटरों
को बेरोजगारी का सामना न करना पड़े।
पेट्रोल, डीजल,
एल.पी.जी. की कीमतों में इस कदर कमी लाई जाएगी कि ओपेक कंट्रीज़ भी इनकी
खरीद के लिए भारत के चक्कर लगाए और अमरीका को डीज़ल-पेट्रोल, गैस
भरवाने के लिए यहाँ आना पड़े। देश के भीतर तो पाइप लाइन से घर पहुँच सप्लाई का
व्यापक प्रबंध किया जाएगा ताकि हर भारतीय रोज़ सुबह चार बजे पेट्रोल-डीजल, गैस
का नल आने पर अपनी सपनों की लक्झरी कार का टेंक फुल कर सके।
मोबाइल, कम्प्यूटर,
आई-फोन, टी.वी. इत्यादि-इत्यादि इलेक्ट्रानिक गजेट्स इतने
सस्ते कर दिये जाएंगे कि लोगों को खरीदने में शरम आए और वे इसके इस्तेमाल में खोटी
होने वाले टाइम को बचाकर देश की दूसरी समस्याओं पर ध्यान देने के लिए खर्च कर
सकें।
इसके अतिरिक्त भी इस बार
अनेक क्रांतिकारी प्रावधान बजट में किये जाने की पूर्ण संभावनाएँ हैं जो कि मेरा यह
बजट अनुमान फेल न हो गए तो अवश्य ही बजट में नज़र आएंगे। अनुमान तो आखिर अनुमान हैं,
फेल भी हो सकते हैं, उसमें क्या! दिल को समझाने के लिए
गालिब ये बजट पूर्व अनुमान अच्छा है।
बेहद उम्दा व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंविलंबित धन्यवाद।
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