जादूगर - लड़के! सात समुन्दर पार जाएगा ?
जमूरा - पासपोर्ट नहीं है!
जादूगर - फिकर नहीं!
जमूरा - तो ठीक है उस्ताद, मगर काहे के वास्ते!
जादूगर - पकड़ लाने को!
जमूरा - किसको ?
जादूगर - एंडरसन को !
जमूरा - एंडरसन कौन ?
जादूगर - बहुराष्ट्रीय कम्पनी का मालिक, लाशों का सौदागर, अमरीकी पूँजीपति, मुनाफाखोर, गरीब देशों की अवाम की जान का दुश्मन, सफेद सुअर।
जमूरा - समझ गया, समझ गया उस्ताद। मगर अंग्रेजी नहीं आती।
जादूगर - फिकर नहीं, बस बैठ हवा के झोके पर, रुकना मत किसी के रोके पर, घुस जाना गोरों के देश में, पकड़ लाना एंडरसन को..................गिलि-गिलि-गिलि फूं...........
(जमूरा घेरे के चक्कर लगाता है, एंडरसन को पकड़ लाता है)
जमूरा - उस्ताद, पकड़ लाया, पकड़ लाया। बड़ी मुश्किल से हाथ आया है। के रिया था टेम नहीं है। डालर की एक बोरी उठाओ और उस्ताद और तुम मजमा-वजमा बन्द कर ऐश करना। जमूरे ने पटकनी मन्त्र सुनाया और कन्धे पर बिठाकर उठा लाया। उस्ताद, गोरा आदमी बड़ा नाराज़ है, इसे वेलकम गीत सुना दें। अगर ये नाराज़ हो गया तो हमारा देश इक्कीसवी सदी में कैसे जाएगा ? हमारे देश में लेटेस्ट टेक्नालॉजी कैसे आएगी ?
जादूगर - हाँ लड़के इसे गाना सुना।
(सब गाते हैं)
एंडरसन आया
डालर लाया
लाशों के ढेर पर मुँह फाड़-फाड़ कर
ठहाका खूब लगाया,
ठहाका खूब लगाया
अमरीका के गोरे ने
गिरफ्तार कर छोड़ दिया
भई डालर भर बोरे में,
डालर भर बोरे में
सत्ता यूँ मुस्काई
चलो खर्च निकले चुनाव के
शुक्रिया अमरीकी भाई,
शुक्रिया अमरीकी भाई देखो और भी आना
देश में और कम्पनी खोल कर कब्रिस्तान बनाना
कब्रिस्तान बनाना जनता हम दे देंगे
मगर ध्यान रखना समय-समय पर
नोट जरूर खिलाना................
एंडरसन - टूम लोग ये क्या गाटा ठा.........? हमको समझ नहीं आया। टुम हमको ट्रांसलेशन करके सुनाटा क्या ?
जमूरा - हम तेरा वेलकम करटा। हमारे देश का परम्परा हाय, जो भी विदेशी आटा उसको एयरपोर्ट पर भक्तिगीत सुनाटा हम लोग.............
एंडरसन - फरम्फरा! ये क्या होटा हाय ?
जमूरा - फरम्फरा मीन्स ट्रेडीशन-ट्रेडीशन!
एंडरसन - ट्रेडीशन, ओह ! पर ये टुम कैसा वेलकम किया। तुम्हारा सरकार ने टो हमारा बहुत अच्छा वेलकम किया। हमको एयरपोर्ट से हमारा कम्पनी का गेस्ट हाउस तक लाया। अच्छा खाने-पीने का इंटज़ाम किया। हमको बोला सर आप सात समुन्दर पार से आया, भूखा होगा, खाना खाओ, हम खाया, खूब खाया, खूब पिया और डंड पेला। फिर देखो टुम्हारा सरकार को हमारा कितना फिकर हाय। हमको बोला युवर एक्सीलेंसी, इधर टुम्हारा जान को खतरा हाय। टुमको डेहली भेजने को मांगता, बुरा नई मानने का। टुमको इंपोर्टेड कार में घुमायेगा-फिराएगा, ऐश करायेगा। स्टेट प्लेन से भोपाल और हिन्दुस्तान भर का खूबसूरत नज़ारा दिखायेगा। टुमको मालूम हमको रिक्वेस्ट किया टुम्हारा सरकार ने कि सर, हम एक नाटक करने को मांगटा, आपको हीरो बनाने को मांगटा। हम बोला, हज़ारों लोगों को जान से मारने के बाद हम टो वैसे ही डुनिया का हीरो है। फिर भी हम बोला, ठीक है। टुमको मालूम नाटक का नाम ? ‘‘एंडरसन की गिरफ्तारी’’।
जादूगर - हाँ और उन्होंने जनता को मूर्ख बनाने के लिए एक नाटक किया। ‘‘एंडरसन की गिरफ्तारी’’। कानूनी ज़रूरत पूरी करने के बहाने हज़ारों लोगों के हत्यारे को छोड़ दिया 25 हज़ार की ज़मानत लेकर। जब अपराध हो रहा होता है तब हमारा कानून चुप बैठा रहता है। और जब अपराध हो चुकता है वह भी इतना भयानक कि हज़ारों लोग तड़फते हुए दम तोड़ देते हैं और लाखों लोग बीमारी से घिरे धीरे-धीरे दम तोडेंगे, तब ये कानूनी नाटक सिर्फ 25 हज़ार की ज़मानत पर खूंखार हत्यारे को खुद ब खुद छोड़ देता है। हां तो जमूरे करदे इस मौत के सौदागर को कटघरे में खड़ा और बांध दे इसकी शैतानी आँखों पर उगलवाऊ पट्टा.....................!
(जमूरा पट्टा बांधता है)
गोरे आदमी चला जा !
एंडरसन - किढर अमरीका ? लाओ-लाओ कार लाओ, प्लेन लाओ!
जादूगर - खामोश!
अटरम सटरम बकना मत तू
खरी बात ही कहना
फेंक रहा हूँ उगलवाऊ मन्तर
ज़रा तमीज़ से रहना
गिलि गिलि गिलि गिलि फूं......................
गोरे आदमी लौट आ !
एंडरसन - लौट आया!
जादूगर - जनता सवाल पूछेगी जवाब देगा ?
एंडरसन - देगा!
जादूगर - झूठ तो नहीं बोलेगा ?
एंडरसन - बोलेगा भी तो टुम क्या कर लेगा ? टुम्हारा सरकार हमारा मुट्ठी में हाय...............!
जादूगर - चुप...................तू कौन.........?
एंडरसन - एंडरसन दी गे्रट !
जादूगर - हिन्दुस्तान क्यूं आया.........?
एंडरसन - ज़हरीली गैस के सक्सेसफुल एक्सपेरीमेंट पर हमारे हिन्दुस्तानी एजेन्टों को बधाई देने.............!
जादूगर - दे दी ?
एंडरसन - दे दी पर मज़ा नहीं आया । हम उनके काम से नाखुश हाय ..............
जादूगर - क्यूं ?
एंडरसन - बहुत कम मरे............
जादूगर - दस हज़ार कम है बे ?
एंडरसन - हमारा प्लानिंग तो पूरा शहर साफ करने का ठा !
जादूगर - सुन रहे है साहेबान, प्लानिंग तो इनकी पूरा शहर साफ करने की थी ! अगर पूरा देश, पूरी दुनिया साफ करने की भी होती तो कोई बड़ी बात नहीं.......... एंडरसन......!
एंडरसन - उस्ताद!
जादूगर - कम्पनी हमारे मुल्क में क्यों लगाई!
एंडरसन - टो क्या हमारे मुल्क में लगाटा..... हमारे यहाँ का लोग बड़ा कीमटी हाय!
जादूगर - हमारे यहाँ के नहीं हैं कीमती.............
एंडरसन - पालिसी उस्ताद पूँजीवाद की मेन पालिसी। भारत जैसे पिछडे़ देश में बिजनेस करना, गरीब लोगों को शोषण करना, साथ-साथ उन पर घातक रसायनों का, गैसों का प्रयोग करते रहना ताकि वक्त पड़ने पर कम से कम समय में ज़्यादा से ज़्यादा लोग मारे जा सकें और प्रापर्टी को कोई नुकसान न हो! हम टो भई टुमारे मंत्रियों-अफसरों को थोड़ा बहुत खिला-पिला डेटे हैं, उनके बेटों, भांजों-भटीजों को अच्छी नौकरी दे देते हैं, टुम्हारा सरकार को करोड़ों रुपया दान करते हैं और आराम से बिना रोकटोक के काम करटे हैं। देखा नहीं, भोपाल में इटना सब होने के बाद भी टुम्हारा डिल्ली का सरकार मल्टी नेशनल का स्वागट करता ! बोलटा इंडिया में और ज़्यादा विडेशी पूँजी लगाओ।
जादूगर - सुना है तुम्हारे यहां इस गैस पर पाबंदी है ?
एंडरसन - सवाल ही नहीं उठता! टो क्या हम बिजनेस नहीं करें! हमारी तो अब भी यह कोशिश रहेगी कि हमारा कारखाना भोपाल टो क्या हिन्दुस्तान भर से कहीं ना जाने पाए, हम डेखटे हैं कैसे जाता है.......?
जमूरा - नहीं चलेगी, नहीं चलेगी, नहीं चलेगी ये चालाकी
देख ली दुनिया ने अब झाँकी
बना रखे षड़यंत्रों की
चकनाचूर करेंगे हम सब नसें तुम्हारे तंत्रों की...............
उस्ताद, बहुत हो गई बकवास, अब जनता भड़करने को है। अगर भड़क गई तो यह गोरा बंदर अपने मुल्क नहीं जा पाएगा। इसको दो एक पहलवानी लात, खुद-ब-खुद हुक्म समझ जाएगा। नही दोबारा यहां आएगा।
(जादूगर और जमूरा दोनों मिलकर उसे लात मारते हैं। एंडरसन भीड़ में घुस जाता है।)
( गैस त्रासदी पर लिखे गए नुक्कड़ नाटक ‘‘दास्तान-ए-गैसकांड का अंश, लेखक-राजीव लोचन व प्रमोद ताम्बट। इस नाटक के प्रथम संस्करण का प्रकाशन 26 दिसम्बर 1984 को हुआ था। एंडरसन के संबंध में उठ रहे सवाल इस नाटक में आज से 26 साल पहले कितने सशक्त रूप में उठाए गए थे वह नाटक के इस एंडरसन प्रसंग से स्पष्ट है।मुख्य पृष्ठ का डिजाइन स्वर्गीय किशोर उमरेकर का है।)