शनिवार, 12 मार्च 2011

बाबा रामदेव और भावी आसन


//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//
       बाबा रामदेव की पार्टी बड़े जोर-शोर से राजनीति के मंच पर आसनस्थहोने की तैयारियाँ कर रही है। उनका और उनके अनुयाइयों का यह दिवास्वप्न पूरा हुआ तो वे इस जीर्ण-शीर्ण जर्जर राजनैतिक मंच पर किस मुद्रा में आसनस्थ होंगे और किस योग का अभ्यास करेंगे यह कौतुहल का विषय है। अब तक इस मंच पर आसनस्थ सभी राजभोगी जिस मुद्रा में नज़र आते रहे हैं, वह मुद्रा भक्षणमुद्रा कही जाती है और इसके अभ्यास से सार्वजनिक धन का भक्षणसरल-सुलभ होता है, भ्रष्टाचारकी कुन्डलिनी जागृत होती है। और भी कई लोक लुभावन मुद्राएँ वर्तमान राजनीति के मंच पर प्रचलित हैं जिनके अभ्यास से एक कार्पोरेट उद्योग की तरह निजी स्वार्थ-संधान का कार्य किया जाता है। बाबा इस कुकर्म-भूमि पर किस करवट बिराजेंगे देखना है।
       बाबा, राजनीति के भोगियोंके खिलाफ अपने योगियोंको उतारने की तैयारी में जुटे हुए  हैं, खुदा न खास्ता सफल हो गये तो उनके योगियों की लंगोट अपनी जगह पर कितनी मजबूती से कसी रह पाएगी, या भ्रष्टभूमि पर आते ही खुलकर बिखर जाएगी, यह आने वाला समय बतायेगा। लंगोट अगर खुद-ब-खुद न भी खुली तो यहाँ दूसरों की लंगोट खींचने वाले संत बहुतायत में है, बाबा के लिए सावधानमुद्रा लाभदायक रहेगी।
       क्या ही अच्छा हो बाबा देश के अगले प्रधानमंत्री बने और भगवा लंगोट देश की राष्ट्रीय पोशाक बने। रामदेव कट दाढ़ी देश में चल निकले। पूरा देश सुबह चार बजे उठकर शौचादि से निवृत होकर योगाभ्यास, प्राणायाम में लग जाए। बाबा राष्ट्रीय चैनल पर पूरे देश को प्रतिदिन तीन-चार घंटा कपालभाती, अनुलोम-विलोम इत्यादि कराएँ । देश रोटी, कपड़ा, मकान की चिन्ता छोड़कर अपनी सेहत पर ध्यान दें।
       वे प्रधानमंत्री बनें और स्वास्थ मंत्रालय अपने पास रखें। सारे आधुनिक अस्पताल बंद कर दिये जाए, डाक्टरों को जेल में डालकर बाबा खुद देश के सिविल सर्जन बन जाएँ और टी.वी. पर से देश के करोड़ों मरीज़ों का इलाज करें। कोई इंजेक्शन, टैबलेट-कैप्सूल नहीं, कोई पैथालाजी टेस्ट नहीं, कोई आपरेशन नहीं, बस योग और जड़ी-बूटी! देश का पूरा दवा उद्योग बंद होकर घर-घर में जड़ी-बूटियों के कुटाई केन्द्र खुल जाएँ। लोग लौकी का जूस पी-पीकर और एलोवेरा का हलुआ खा-खाकर सेहत बनाएँ। पेप्सी, कोक, हॉटडाँग, पिज्जा, बर्गर, चाऊमीन पर बंदिश लगाकर जगह-जगह बस दलिया बेचा जाए।
               बाबा की पार्टी सत्ता में आते ही देश-विदेश में जमा काले धन को बाहर निकालने की अपनी मुहीम चालू कर देगी। अभी तक यह पता नहीं चला है कि बाँबी में बैठे इस काले नाग को वे बाहर कैसे निकालेंगे। पुलिस-गुप्तचरों जैसे पारम्परिक सपेरों से तो वह काला नाग बाहर निकलने वाला नहीं, उनको यह काम करना ही होता तो वे सरकार का खजाना भरने के लिए न सही, अपनी जेब भरने के लिए तो उस काले धन को ज़रूर ढूँढ़ निकालते। ऐसे में बाबा का कौन सा आसन देश के गरीबों का भला करेगा जानने के लिए हम चौबीस घंटे आस्था चैनल खोले बैठे हैं, देखें कब बाबा अपने पत्ते खोलते हैं।

18 टिप्‍पणियां:

  1. "...वे प्रधानमंत्री बनें और स्वास्थ मंत्रालय अपने पास रखें। सारे आधुनिक अस्पताल बंद कर दिये जाए, ..............."

    बहुत सटीक व्यंग्य!

    वैसे आम आदमी को सात्विक जीवन जीने की शिक्षा देने वाले बाबा लोग खुद विलासी जीवन जीते हैं.

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  2. बिना प्रधान मन्त्री बने ही बाबा ने विदेशों मे टापू खरीद लिये हैं अब उन्हें उकसाने वाले जब उन्हें मक्खन से बाल की तरह निकाल फेंकेंगे तब उस टापू पर जा कर अपना अलग देश बसायेंगे। बाबा बहका कर लोगों को झूठे सपने दिखा रहे हैं \ जब सपने पूरे नही होंगे तब बाबा का जो हाल होगा वो शायद नही जानते।जब उनके मंच से देशबन्दु जैसे चोर भाषण दे रहे हों जिन्हे कि आयकर विभाग ने निलम्बित कर रखा है तो क्या उमीद रखी जा सकती है? तभी के लिये तो टापू खरीदा है। अच्छा व्यंग।

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  3. बाबा अभी सिर्फ एक ही दृष्टीकोण से देख रहे हैं... बाबा दृष्टिकोण"
    और इस राजनीति ने अच्छे-अच्छों को नहीं बक्शा, फ़िर चाहे वो सन्यासिनी हो, बेबी हो या फ़िर कोई बाबा...
    बहुत सटीक और सही व्यंग्य...

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  4. अति सुन्दर और मारक व्यंग्य लिखा है आपने,

    बाबा रामदेव को बड़बोला नहीं होना चाहिए था, यही उनके खिलाफ जा रहा है

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  5. प्रमोद जी को जनकल्‍याणकारी रूचि‍कर लेखन के लि‍ये शुभकामनाएं।

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  6. मैं सोचता था बाबा व्यंग्यकारों के लिए कुछ नहीं करते। लेकिन आज जाना कि उन्होने सभी को कुछ न कुछ तो दिया है!

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  7. राम देव की पार्टी और ज्यादा जनता को लूट खायेगी.

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  8. यह आसन इतना भी आसान न होगा...

    सटीक..

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  9. प्रमोद सुपुत्र
    चिरंजीव भवः
    झन्नाटेदार व्यंग

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  10. पूंजीवाद बहुत ताकतवर है, पार्लियामेंट उसकी बनाई हुई है, कब बाबा रामदेव का इस्तेमाल करना है और कब लालकृष्ण अडवाणी का उसे अच्छी तरह पता है। पश्चिम बंगाल में तथाकथित कम्यूनिस्टों को पूंजीवाद ने पार्लियामेंट की बकरी बनाकर रखा तो फिर बाबा रामदेव कहां लगते हैं।

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