सोमवार, 23 मई 2011

खिलाड़ी स्पॉसर के बीच संवाद


//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//
          खिलाड़ी स्पांसर से लड़ रहा है-‘‘यार मालूम होता कि तुम यूँ बनियागिरी करोगे तो कसम से किसी ओर घराने की स्पांसरशिप ले लेता। अब ठीक है, मैं ज़ीरो पर आउट हो गया, ज़्यादा देर क्रीज़ पर चिपका रहकर तुम्हारा ब्रांड टी.वी. पर नहीं दिखा पाया, मगर मैंने आउट होने से साफ इन्कार करके कितनी देर फुटेज खाया! थर्ड अंपायर जितनी बार स्लो मोशन में मुझे आगे पीछे करके देखता रहा उतनी बार तुम्हारा ब्रांड टी.वी. पर छाया रहा। उसके बाद जब थर्ड अंपायर ने भी मुझे आउट दे दिया तो मैं कैमरे की ओर पीठ किये-किये ही पवेलियन लौटा ताकि तुम्हारा ब्रांड आखिर तक दुनिया भर को दिखता रहे। इसका पैसा क्या तुम्हारा बाप देगा ?’’
          स्पांसर बोला-‘‘ देख रे, बाप तक तो जा मती। अभी शराफत से जो दे रहे है वह रख ले, वर्ना कल सबके सामने हम खुद अपना ब्रांड तेरे बदन से नोच लेंगे तो तुझे गली के कुत्ते भी पूछने वाले नहीं हैं।’’
          खिलाड़ी बोला-‘‘यार यह भी कोई बात होती है, फील्डिंग के टाइम मैंने कितने चोचले किये, कितनी बार औंधा-सीधा होकर गिरा, बॉल स्लिप में जाती थी मगर मैं गली में पूरे जोश से उछलकर गिर पड़ता था। गिर-गिरकर घुटने फोड़ लिए मैंने ताकि कैमरा मुझ पर रहे और तुम्हारा ब्रांड टी.वी. पर चमकता रहे। मैंने दर्शकों की तरफ देखकर ऊल-जूलल हरकतें की, दर्शकों को हूटिंग के लिए उकसाया फिर भद्दी-भद्दी गालियाँ देने के अन्दाज़ में मुँह भी चलाया, कैमरे ने एक-एक चीज़ बराबर दिखाई। तुम्हारे ब्रांड को लोगों ने बार-बार देखा और तुम लोग एक्स्ट्रा देने की बजाय मेरा कान्ट्रेक्ट का पैसा भी काट रहे हो।’’
          स्पांसर को गुस्सा गया, वह बोला -‘‘साले, इस नौटंकी के लिए हम तुझ पर करोड़ों रुपया खर्च कर रहे हैं ? अबे ढंग से खेलेगा तभी तो हमारे ब्रांड की सेल बढेगी। यूँ ही तेरी छिछोरी हरकतों से हमारी कमाई बढ़ती तो हम तुझे क्यों स्पांसर करते, किसी भी फिल्मी हीरों को नहीं कर लेते! दफा हो जा यहाँ से। ढंग से खेलेगा तो पैसा देंगे, नही तो नोच-नोचकर ब्रांड तेरे बदन से उतार लेंगे।
          खिलाड़ी मायूस हो गया, लगा बड़बड़ाने, साला ईमानदारी का पैसा माँगते हैं तो तुम लोगों की नानी मरती है देने में। फिर हम सट्टा लगवाएँगे तो वो भी नहीं करने दोगे, कहोगे ब्रांड बदनाम होता है। करें तो करें क्या हम, क्या भूखों मर जाएँ!
          काफी नोकझोक के बाद जब स्पांसर ने अपने लठैतों को आवाज़ दी तो खिलाड़ी चुपचाप अपना हेलमेट सिर पर चढ़ाकर चलता बना। दूसरे दिन क्रिकेट मैदान में फिर छिछोरी हरकतें कर ब्रांड की सेल बढ़ाने के लिए अथक प्रयास करता हुआ दिखाई दिया।

9 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा हा .... ज़बरदस्त सर जी...

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  2. पर इस कहानी में तगड़ा सच है, खिलाड़ियों को मिले पैसा जितना।

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  3. बहुत बढ़िया व्यंग्य है सर!

    सादर

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  4. यथार्थ के धरातल पर शानदार-मजेदार व्यंग.......

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