//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//
उत्तरप्रदेश में हाथी की मूर्तियों को ढॉंकने के लिये कहा गया है। वजह यह है कि हाथी की मूर्ती दिखाकर कोई वोटर को प्रभावित न कर सके। ठीक भी है, हाथी की मूर्तियों को ही क्यों, साक्षात हाथियों को भी कपड़े से ढँकने की ज़रुरत है जो उत्तरप्रदेश के जंगलों, चिड़ियाघरों मैं हैं अथवा साधु-संतो के पास पल रहे हैं। उन्हें देखकर भी तो वोटर हाथी से प्रभावित होकर वोट डाल आ सकता है। सिर्फ हाथी ही क्यों जगह-जगह मौजूद गणेशजी की मूर्तियों को भी चुनाव तक ढँक दिया जाना चाहिये ताकि उन्हें देखकर कोई हाथी को वोट देने के लिए न निकल पड़े।
समाजवादियों ने अपना चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ ही आखिर क्यों रखा! इसलिए क्योंकि ‘साइकिल’ आम जनता के घर-घर में दो-दो, चार-चार होती हैं और हर वक्त उसकी आँखों के सामने होती है। अब चुनाव के समय समाजवादी साइकिल को सिर पर रख कर घूमेंगे इसलिए इसे भी ढँकना चाहिए। जहाँ कहीं भी साइकिल खड़ी दिखाई दे उसे ढँक दिया जाए तो जनता समाजवादियों के बरगलाने में क़तई नहीं आएगी।
सबसे ज्यादा लाभ तो कांग्रेस को मिलना चाहिये, क्योंकि हर एक व्यक्ति के पास दो-दो पंजे हैं। आदमी न केवल अपने पंजों से प्रेरणा का शिकार हो सकता है बल्कि दूसरों के पंजे भी उसे कांग्रेस को वोट देने के लिए फुसला सकते हैं। इसलिए चुनाव आयोग को चाहिए कि छोटी-छोटी कपड़े की थैलियाँ हर व्यक्ति के दोनों पंजों पर चढ़वा दी जाए, तो कांग्रेस कभी भी चुनाव में दूसरों के पंजों का बेजा फायदा नहीं उठा पाएगी।
इधर कीचड़ में जगह-जगह ‘कमल’ का फूल पाया जाता है, कोई भी इंसान इस कमल को देखकर भाजपाइयों के झाँसे में आ सकता है, इसलिए यू.पी. भर में कमल के फूलों पर एक-एक पॉलीथिन की पन्नी उल्टी डाल दी जाए। न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी।
कई तरह के चुनाव चिन्ह सार्वजनिक जगहों पर पाए जाते हैं। वे सारे ढँक दिए जाएँ तो चुनाव में उन्हें दिखाकर भोले-भाले मतदाताओं को वोट डालने के लिए रिझाया नहीं जा सकेगा। कुछ चीजों को ढँकने में नानी याद आ सकती हैं, मगर चुनाव निष्पक्ष होना बेहद ज़रूरी है, नानी याद आए या नाना।
yah dhankne ka bhram bhi achha tareeka hai..
जवाब देंहटाएंbahut badiya prastuti..
सही बात भाई साहब। हाथी को ही नही हर उस चीज़ को ढकना चाहिये जो चुनाव चिंह है। लेकिन बात वहीं आती है अति सर्वदा वर्जयेत। मायावती अगर इतनी मूर्तियां न बनाती हाथी और खुद की तो यह सब न होता।
जवाब देंहटाएंसबका ही प्रचार हो रहा है, मुफ्त में ही।
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 02-02 -20 12 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज...गम भुलाने के बहाने कुछ न कुछ पीते हैं सब .
:-)
जवाब देंहटाएंरोचक लेखन...
सादर.
शुकर है किसी का चुनाव चिन्ह "मुंह"..वर्ना वो अपना मुंह छिपाने कहाँ जाते??
जवाब देंहटाएंढँकने सेक्या फ़ायदा ,खोल कर दिखायें कि इस हाथी ने कितनों का हिस्सा हथियाया है !
जवाब देंहटाएंhaathi ka anda phle murgi ya anda
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