//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//
आई. पी. एल. जिसके शताधिक फुलफार्म
हैं, की ‘झंपिंग झपांग झंपक-झंपक’ जोर-शोर
से चल रही है। जैसा की एक भद्र फिल्मी महिला ने टी.वी के माध्यम से कई दिनों तक इस
अद्भुत बोलों वाले गीत के साथ यह महत्वपूर्ण संदेश जन-जन तक पहुँचाया कि शर्माने
का नई, जेंटलमैन से मेंटलमैन बनने का, बहुत सारे लोग मेंटलमेन बनने लगे हैं। जैसे-जैसे यह मेंटलपना परवान
चढ़ेगा, लोग कामकाज, नौकरी-धंधा पढ़ाई-लिखाई यहाँ तक कि
खाना-पीना और शरीर की दूसरी अति महत्वपूर्ण जैविक क्रियाओं पर भी जबरिया रोक लगा
कर बस ‘झंपिंग झपांग झंपक-झंपक, ढंपिंग ढपांग
ढंपक-ढंपक’ में मशगूल हो जाएंगे। कोई मरे-जीए उनकी बला से।
जो लोग कभी जेंटलमन थे ही नहीं उनके लिए
तो उस भद्र महिला की अपील बेमानी सी है, मगर
इर्द-गिर्द मौजूद हज़ारों-लाखों मेंटलमेन आने वाले दो महीनों तक हम-आप जैसे सच्चे
जेंटलमेनों का जीना हराम करने वाले हैं। सड़क चलते लोग आपको रोक-रोक कर
पूछेंगे-क्या पोजीशन है ? आप पूछोगे-काहे
की ? तो वे आपको ऐसी अजीब नज़रों से घूरेंगे जैसे
आप अभी-अभी पागलखाने से छूट कर आ रहे हों। फिर आपको इस मामले में घोर अज्ञानी होने
के जुर्म में एक झिड़की सी देते हुए कहा जाएगा-हद हो गई, उधर जंग छिड़ी हुई है और आपको
खबर ही नहीं है! आप एक सेकंड के लिए हतप्रभ से हो जाओगे और सोचोगे कि अभी फिलहाल
तो जंग जैसी कोई स्थिति है नहीं, पाकिस्तानियों ने
ताज़ा कोई हरकत की ही नहीं है, ये कम्बख्त कौन
सी जंग की पोजीशन पूछ रहा है! फिर खोजबीन करने पर आपको पता चलेगा कि किन्ही वारियरों
और डेविलों नामक दो कट्टर दुश्मनों के बीच भिड़ंत है। आपको लगेगा शायद यह
डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ. वाली मारामारी की बात हो रही है, मगर फिर वही व्यक्ति आपके ज्ञान में बढ़ोत्तरी करेगा कि भैया मैं ‘झंपिंग
झपांग झंपक-झंपक’ अर्थात आई.पी.एल के मैच की बात कर रहा हूँ। और तब आपको ऐसा
महसूस होगा जैसे आप बोर्ड की परीक्षा में फेल हो गए हों।
एक ज़माना था क्रिकेट जेंटलमेन गेम
हुआ करता था, मैदान में सिर्फ हाउज़दैट की आवाज भर
सुनाई देतीं थी और दर्शक चिन्तनकारों की तरह गैलरियों में बैठकर चैके-छक्के पड़ने
पर इस तरह होले-होले तालियाँ बजा दिया करते थे जैसे खिलाड़ियों पर एहसान कर रहे
हों। खिलाड़ी घूमते-फिरते, खाते-पीते, टहलते हुए पाँच दिन का टेस्ट मैच निबटा लिया
करते थे। मगर अब झंपिंग झपांग ढंपिंग ढपांग का ज़माना है। सीख दी जा रही है कि
शराफत छोड़ो, कपड़े फाड़ पागलपन पर उतर आओ। घर-बार,
नौकरी-चाकरी, स्कूल-कॉलेज,
पढ़ाई-लिखाई छोड़कर मेंटलमैन बन जाओ। लिहाजा मैच में आठ-दस
पागल किस्म की चीयरगर्ल्स का झुंड बिना थके नाच-नाचकर खिलाड़ियों व दर्शकों का
मनोबल बढ़ाएगा, और उधर घर में बैठकर टी.वी. में घुसे
पड़े तमाम लोग अपनी ‘झंपक-झंपक’ से अड़ौसियों-पड़ौसियों का मनोबल ध्वस्त करते रहेंगे। क्यों?
अरे भई, आईपीएल जो चालू आहे।
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जो मन को भाता जाता, आई पी एल में आता जाता।
जवाब देंहटाएंआपने लिखा....हमने पढ़ा
जवाब देंहटाएंऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 21/04/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!