//व्यंग्य- प्रमोद ताम्बट//
सज-धज, आकार-प्रकार, रंग-रोगन, भार, क्षेत्रफल, लागत, एम.आर.पी., ग्राहक को टिपाने के मूल्य, शब्द संख्या और भाषा शैली के लिहाज़ से भारतीय विवाहों के निमन्त्रण-पत्रों
में कई क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं, परन्तु विवाह से जुड़े अनेक अत्यावश्यक अ-वैवाहिक कार्यक्रमों एवं
लोकाचारों के मद्देनज़र इन निमंत्रण-पत्रों को और भी ज़्यादा व्यापक किया जाना
आवश्यक है।
जैसे, बारात प्रस्थान अथवा आगमन की सूचना के पूर्व दूल्हा-दुल्हन के
ब्यूटीपार्लर जाने और आने का समय, दुल्हा-दुल्हन की
‘फेंसी-ड्रेसिंग’ एवं विशिष्ट ‘मेकओवर’ का समय इत्यादि भी निमन्त्रण-पत्र में उल्लेखित कर दिया जाए
तो निमंत्रित लोग अपनी ‘ड्रेसिंग-मेकप’ का समय निर्धारित कर सकेंगे। होता यह है कि मेहमान तो तैयार होकर ‘भूखे-प्यासे’ सात बजे विवाह स्थल पर पहुँच जाते हैं मगर दूल्हा-दुल्हन रात
दस बजे ‘ब्यूटीपार्लर’ से तशरीफ लाते हैं।
बारात प्रस्थान के पूर्व कितने बजे
से कितने बजे तक ‘दारू’ पीने का समय होगा, कितने बजे से
कितने बजे तक बारात सड़कों पर ‘भाँगड़ा’ करती रहेगी, बारातियों के
जुलूस का निर्धारित ‘रूट’ क्या होगा, बारात कितने से कितने बजे तक सड़कों
पर ‘ध्वनि’ एवं ‘वायू प्रदूषण’ करेगी, इसकी सूचना
निमंत्रण पत्र में अग्रिम रूप से प्रकाशित कर दी जाए तो बारातियों के लिए काफी
सुविधाजनक होगा।
दुल्हन के द्वार पर पहुँचने के बाद
बारातियों का स्वागत ‘पान-पराग’ से किया जाएगा या ‘जूते-चप्पलों’ से यह स्पष्ट होना चाहिए। बारातियों का शराब पीकर लोट लगाने
का समय, घरातियों-बारातियों की परस्पर गाली-गुफ्तार, झोंटा-झाँटी, उठापटक, वाकयुद्ध, लातयुद्ध एवं
अस्त्र-शस्त्र युद्ध का निश्चित समय निमन्त्रण-पत्र में लिखा होना चाहिए और साथ ही
साथ फुटनोट में यह भी मुद्रित किया जाना चाहिए कि लाठी-डंडे, तलवार, चाकू-छुरे, चैन-रॉड एवं हेलमेट इत्यादि की व्यवस्था बारातियों को स्वयं
करना पड़ेगी या वर-वधू पक्ष यह सब ‘युद्ध सामग्री’ उपलब्ध कराएंगे।
निमन्त्रण-पत्र में स्पष्ट लिखा होना
चाहिए-रात बारह बजे से एक बजे तक वर-वधू पक्ष के बीच ‘दहेज’ संबंधी मंत्रणाओं एवं शिखर सम्मेलनों के नए दौर होंगे, जिनमें नवीन परिस्थितियों व दूल्हें के नवीनतम बाज़ार भाव के
अनुसार पुनरीक्षित माँग पत्र पर चर्चा, लात-घूसे इत्यादि कार्यक्रम होंगे। एक से दो बजे तक वर पक्ष नाटक-नौटंकी
करेगा, उसके बाद उन्हें बारातियों समेत पीटा, खदेड़ा और दौड़ाया जाएगा। दो बजे से तीन बजे तक ‘थाना-पुलिस’ का समय होगा, उसके बाद यदि माहौल सौहार्दपूर्ण हो गया तो घराती-बाराती मेहमानों को ‘खाना’ दिया जाएगा और ‘भाँवरें’ पड़ेंगी। विदाई इत्यादि का कार्यक्रम तो निमंत्रण-पत्र में रहता ही है, थोड़ा और यथार्थ का पुट यदि निमन्त्रण-पत्र में डालना हो तो
वर-वधु पक्ष ‘तलाक’ का दिन और समय भी निमन्त्रण-पत्र में अग्रिम तौर पर घोषित कर सकते हैं।
यह सब भारतीय विवाहों के साथ जुड़ी
हुई महत्वपूर्ण परम्पराएँ हैं जो प्रत्येक विवाह में अनिवार्य रूप से निभाई जाती
है। इसलिए, सारे कार्यक्रम पूर्व से ही समयबद्ध
कर निमन्त्रण पत्र में प्रकाशित कर दिये जाएँ तो दोनों ही पक्षों के, ‘गिफ्ट’ और ‘लिफाफे’ लेकर मारे-मारे भटकने वाले मेहमानों के लिए काफी सुविधाजनक होगा।
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ऐसा भी हो शादी का निमन्त्रण पत्र
जवाब देंहटाएंव्यंगात्मक व्यंग हंसी का फव्वारा
दहेजलोभियों को दहेज़ दो नहीं दूहला रह जायेगा कुआरा
सच है, एक यादगार घटना बनाना जो है।
जवाब देंहटाएंनेक नीयती से कोशिश की जाये तो शादी के खर्च को कम किया जा सकता है. कमी को बाक़ी रखते हुए समस्या को हल किया जायेगा तो नई खराबियाँ पैदा हो जायेंगी.
जवाब देंहटाएंbahut hi shaandaar vyangya hai ..sirji ....blog par bhi padh liya ...meri bhi ruchi ka vishay hai is par likhna ....
जवाब देंहटाएंmukesh joshi
अवश्य लिखिए मुकेश जी, नए आयाम सामने आएंगे।
हटाएंआपने लिखा....हमने पढ़ा
जवाब देंहटाएंऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 08/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
:-)
जवाब देंहटाएंबढ़िया कटाक्ष........
सादर
अनु