//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//
मंगू दादा उर्फ मंगलसिंह आज थोड़े से
खफ़ा हैं। उनकी खफ़गी का पहला कारण तो यही है कि मंगल पर कुछ भेजें या न भेजें इस
बाबत् उनसे राय क्यों नहीं ली गई। दूसरा मुद्दा यह है कि यान में ‘बंदर’ क्यों नहीं भेजा
गया! बंदर जाता और जिंदा वापस आ जाता, तभी तो
पता चलता कि मंगल पर ‘कब्ज़ा’ करने में कोई रिस्क है या नहीं। मंगू दादा की गैंग जो अब तक शहर के कई
हिस्सों में कब्ज़ा करके झोपड़-पट्टी बना चुकि है, मुस्तैदी से कमर कस के तैयार है कि कोई नई जगह मिले तो झोपड़-पट्टी स्थापन
की आगामी योजना को मूर्त रूप दिया जावे।
तीसरा मुद्दा यह है कि मंगलयान के
साथ कोई सर्वेयर-इंजीनियर-आर्किटेक्ट भेजने की कोई ज़रूरत क्यों नही महसूस नहीं की
गई। वे लगातार बड़बड़ा रहे हैं-‘‘हद होती है
मिसमैनेजमेंट की, कैसे-कैसे बेवकूफ घुस गये हैं इसरो
में। आखिर कैसे ‘मंगल’ का खसरा-अक्स बनाया जाएगा, कैसे साइट
डेवलपमेंट की प्लानिंग होगी, कैसे प्लाटिंग के
नक्शे तैयार होंगे, किसी को चिंता ही नहीं है। ऐसा थोड़ी
है कि बस ज़मीन पर कब्जा करके प्लाट बेच दो, फिर बेचारे खरीददारों को अपना प्लाट ढूँढ़ने में नानी याद आ जाए।’’ मंगूदादा का काम पुख्ता होता है बाकायदा सारी परमीशंस,
कागज़ात, मय रजिस्ट्री के
वे ज़मीन के प्लाट बेचते हैं, किसी को धोखा
नहीं देते, कब्जे़ की ज़मीन हो तो क्या हुआ।
मंगल पर ‘खनिज संपदा’ का पता भी लगाया जाएगा। मंगूदादा
खदान आवंटन के लिए कागज़ात तैयार करने तक की मोहलत न दिये जाने पर भी इसरो से नाराज़
हैं। उनका कहना है कि इसरो सोना-चाँदी, और
हीरा-पन्ना आदि के खनन व्यवसाइयों के हाथों बिक चुका है, उसे मिट्टी-मुरम-कोपरा के खदान मालिकों की बिल्कुल चिन्ता ही नहीं है।
मंगूदादा ने जब से सुना है कि मंगल पर ‘लाल मुरम’
बहुतायत में है वे तब से हिसाब लगा रहे हैं कि उनके पास
उपलब्ध वैध-अवैध संसाधनों से कितनी मुरम वे साल भर में खोदेंगे और कितनी मुरम पर ‘मंगल सरकार’ को ‘रायल्टी’ देंगे और कितनी
खा जाएँगे।
मंगूदादा परेशान हैं कि ‘मीथेन’ क्या होती है!
उन्होंने तो आजतक सिर्फ दो ही गैसों के बारे में सुना था, जिसमें से एक से तो उनके ‘निजी’ ताल्लुकात हैं और दूसरी है ‘रसोई गैस’। यह तीसरी गैस कहाँ से आ गई उनके
लिए चिंता का विषय है। उनका सवाल है कि ‘‘जब रसोई
गैस की इतनी किल्लत है देश में, तो उसे खोजने की
बजाय ये लोग ‘मीथेन’ की खोज क्यों कर रहे हैं!’’
मंगल के ‘वायुमंडल’ में ‘पतंग’ उड़ सकती है या नहीं, इससे ज्यादा महत्व वायुमंडल का मंगूदादा के लिए और कुछ नहीं।
मंगूदादा के हिसाब से इस अभियान में महत्वपूर्ण मुद्दों की अनदेखी हुई है, पैसा खाया गया है। इसकी तुरंत जाँच होना चाहिए, ताकि मंगलयान को वापस बुलाकर उसमें ये मुद्दे भी जोड़े जा
सकें।
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सुन्दर प्रस्तुति है आदरणीय -
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार-