//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//
देश में सभी धर्म-सम्प्रदायों,
जातियों, वर्गों यहाँ तक
कि चोर-उचक्कों, ठग-लुटेरों, कातिलों, बलात्कारियों तक का प्रतिनिधित्व करने वाली राजनैतिक पार्टियाँ मौजूद हैं, मगर हाल ही में उदित हुए ‘नोटा-सम्प्रदाय’ का प्रतिनिधित्व
करने वाली कोई पार्टी अस्तित्व में नहीं है। नोटा प्रमियों को लग रहा है जैसे कोई
बाप ही नहीं है। इस स्थिति में ‘नोटा-सम्प्रदाय’
के सदस्य किसी भी पार्टी के बहकावे में आकर अपना वोट
खराब कर सकते हैं। इसलिए हमने इन्हें संगठित कर देश की सबसे बड़ी पार्टी ‘नोटा-पार्टी’ बनाने का
बीड़ा उठाया है। इस पार्टी का मिशन होगा, सूरज की
पहली किरण के साथ ज्यादा से ज्यादा तादात में पोलिंग बूथ पर भीड़ लगाकर ‘नोटा’ बटन का कचूमर
निकालना।
हमने यह बीड़ा उठा तो लिया है मगर हम
स्पष्ट कर देना चाहते है कि हम चुनावों में आखिरी ईवीएम का आखिरी बटन दब जाने तक
ही इस बीड़े को सिर पर ढोएंगे, उसके बाद कहीं भी
नाली में फेंककर चलते बनेंगे। वैसे भी, ईवीएम का
बटन दब जाने के तुरंत बाद सारी पार्टियों के ‘बीड़ों’ का यही तो हश्र होता है!
इस पार्टी में कोई नेता नहीं होगा,
कोई अनुयायी नहीं होगा। न कोई चन्दा माँगेगा ना देगा।
कोई धरना प्रदर्शन हाय-हाय नहीं होगी, कोई
पोस्टर, पम्पलेट, बैनर नहीं होगा। पार्टी न किसी का सपोर्ट लेगी न देगी, चाहे टाटा-बिरला-अंबानी ही क्यों न आ जाएँ। पार्टी की कोई
चुनावी सभा नहीं होगी न हवाई यात्राएँ की जाएंगी। हमारा दावा है कि हमारी यह ‘नोटा’ पार्टी देश की
एकमात्र सच्ची लोकतांत्रिक पार्टी होगी जिसमें हम किसी भी तुर्रम खाँ को रिजेक्ट
करने के इस महान लोकतांत्रिक अधिकार को इस हद तक अपने जीवन में उतारेंगे कि एक दिन
खुद की सत्ता को भी सिरे से रिजेक्ट कर देंगे। यह एक तरह से नेतृत्व की भीड़ से
मुक्त होकर परम आत्मा में लीन हो जाने की तरह का कांड होगा।
आइये, ज्यादा से ज्यादा तादात में हमारी अपनी ‘नोटा’ पार्टी में शामिल होकर महान
लोकतांत्रिक पर्व ‘चुनाव’ को सफल बनाएँ।
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