//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//
पॉजीटिव होना भी क्या ग़जब की बात है। घबराइये नहीं, मैं कोरोना पॉजीटिव होने की बात नहीं कर रहा। मैं तो जीवन की हज़ारों निगेटिविटियों के बीच रहते हुए भी घोर पॉजीटिव बने रहने की अद्भुत अतिमानवीय क्षमता की बात कर रहा हूँ। यह वैसा ही है जैसे किटाणुओं-जिवाणुओं सॉप-सपोलों और दूसरे खतरनाक जलचरों से भरे कीचड़युक्त तालाब में कमल का बेशर्मी और निरपेक्ष भाव से खिले, मुस्कुराते रहना।
कोरोना की बात चली है तो उसी से शुरू करते हैं। संक्रमितों की संख्या अठारह लाख से ज़्यादा हो चुकी है परन्तु निज़ाम के चेहरों पर अब भी अद्भुत पॉजिटिविटी है। दुनिया के मुकाबले हम बहुत ही कम संक्रमित हैं। खुशी की बात है। मौतों में भी हमने यह अनुपात सफलतापूर्वक कायम रखा है। निराश नहीं होने का। खुश रहने का। चाहे आधी आबादी चपेट में आ जाए लेकिन हमें बाकी आधी बचने वाली आबादी के लिए खुश रहना है। पॉजीटिव रहना है। बाकी कुछ करें न करें, पॉजीटिव रह लिए तो समझो बहुत कुछ कर लिया।
महंगाई कमर तोड़ रही है। वह हाँथ-पैर भी तोड़ दे तब भी निराश नहीं होना है। पॉजीटिव रहना है। अमेरीका और योरोप की मंडियों में जाकर देखों ज़रा, कितनी महंगाई है। हम तो बहुत अच्छे हैं। फालतू हंगामा करने की क्या ज़रूरत है। पॉजीटिव रहो। पॉजीटिव रह कर महंगाई का सामना करोगे तो महंगाई, महंगाई नहीं रह जाएगी, फूलों का हार हो जाएगी। खुशी से गले में टांगे घूमते रहो।
बेरोज़गारी बेइंतहा बढ़ती जा रही है। सारे रिकार्ड टूट रहे हैं। टूटने दो, तुम पॉजीटिव होकर रिकार्ड का टूटना देखो। राजनीति में कार्यकर्ता कहाँ से आएगा? बेरोज़गारी के टूटे रिकार्ड ही से तो आएगा। बेरोज़गार हमारे दल में आएगा, नारा लगाएगा, जय-जयकार करेगा, जुलूस निकालेगा, तोड़फोड़ करेगा, धरना देगा, मस्जि़द तोड़ेगा, मंदिर बनाएगा, सत्ता दिलाएगा, कितनी पॉजीटिव ऊर्जा का संचार होगा। बेरोज़गार को रोज़गार दे दोगे तो क्या घंटा राजनीति करोगे।
अर्थव्यवस्था संकट में है, अर्थव्यवस्था बीमार है, अर्थव्यवस्था चरमरा रही है, अर्थव्यवस्था बरबाद हो रही है, अर्थव्यवस्था गड्ढे में जा रही है, अर्थव्यवस्था जर्जर हो रही है, अर्थव्यवस्था पंगु हो रही है, अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है, अर्थव्यवस्था तबाह हो रही है, अर्थव्यवस्था नेस्तोनाबूद हो रही है आदि आदि आदि। चुप रह न कम्बख़्त, कितनी निगेटिविटी भरी है तुझमें। पॉजीटिव पॉजीटिव बोल न यार। अर्थव्यवस्था बहुत अच्छा कर रही है। देखता नहीं एंटिलिया में मुनाफा आया है। पाँच ट्रिलियन इकॉनामी की ओर देख मूर्ख, फुल पॉजीटिव रह।
पॉजीटिव रहना स्वास्थ के लिए लाभदायक है। दवाई न होगी, अस्पताल न होगा, डॉक्टर न होगा, दाल-रोटी न होगी, शिक्षा न होगी, रोज़गार न होगा, सुख-सुविधा, व्यवस्था कुछ भी न होगा तब भी प्यारे तू एक बारगी जी जाएगा, लेकिन अगर पॉजीटिविटी न हुई तो तू मर जाएगा बावले। न मरा तो कोरोना तूझे मार देगा। कोरोना नहीं तो हम कौन तुझे जीने देने वाले हैं।
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स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (16-08-2020) को "सुधर गया परिवेश" (चर्चा अंक-3795) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
स्वतन्त्रता दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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विचारोत्तेजक व्यंग्य
जवाब देंहटाएंपॉजिटिव ब्लॉग!
जवाब देंहटाएंसार्थक लेख।
जवाब देंहटाएंजय हिन्द
जो हालात हैं देश के, बहुत सही कटाक्ष है। पेट में अन्न नहीं, नौकरी नहीं, हॉस्पिटल नहीं; पर मंदिर मस्जिद है न। पॉज़िटिव रहना है।
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