//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//
बस कुछ दिन और, सटोरियों का बहुप्रतीक्षित वर्डकप चालू होने वाला है। इधर जैसे-जैसे दुनिया की चौदह क्रिकेट टीमें अपने-आप को चाक-चौबंद कर वर्डकप के लिए तैयार कर रही हैं, वैसे-वैसे सटोरिए-बंधु भी अपनी ज़मीनी तैयारियों में भिड़ गए हैं। क्रिकेट खिलाड़ी जहाँ अपने तमाम हथियार यथा बैट-बल्ले, शिरस्त्राण नी-कैप, पैड, जूते-मोजे सम्हालने में लगें हैं, वहीं सटोरिये मोबाइल, टेलीफोन, लैपटॉप, कम्प्यूटर, टी.व्ही. और ‘ब्रीफकेस’ अप-टू-डेट करने लग पड़े हैं। कोई भी अपनी तैयारियों में कमी नहीं रखना चाहता आखिर वर्डकप चार साल के लम्बे अन्तराल के बाद जो आता है।
एक मायने में क्रिकेट और सट्टा दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। इतने भयानक पूरक कि समझ में ही नहीं आता, क्रिकेट में सट्टा चल रहा है या सट्टे में क्रिकेट। खेल भावना दोनों में समान होती है।
सूने भवनों, सुनसान मैदानों, रहस्यमय गली-कूचों में ‘फड़’ खेलने वालों, या पुलिस की दबिश के दौरान घटिया होटलों के हर संभव निकास से कूद-कूद कर तीर की तरह भागते धुरंधर सटोरियों को खूब देखा है। वह किस्सा अब पुराना हुआ। किसी ज़माने के इस जोखिम भरे खेल का अब जबरदस्त रूप से सम्मानजनक रुपान्तरण हो गया है। अब बालकनियों से कूदकर पाँव तुड़वाने और पृष्ठ भाग पर पुलिस के डंडों की सुताई का खतरा बिल्कुल नहीं रहा, बल्कि पुलिस के पूर्ण संरक्षण में किसी भी गुप्त स्थान पर बैठकर आधुनिक गजेट्स के सहारे सटोरिये दुनिया का अपना कोई भी टुर्नामेंट सम्पन्न कर ले सकते हैं। गली-कूँचों से लेकर सभी तरह के घरू क्रिकेट, एक विकिट, दो विकिट टूर्नामेंट, टेस्ट क्रिकेट, ओ.डी.आई, ट्वेंटी-ट्वेंटी, काउंटी मैचेस और सबसे कमाऊ आयोजन वर्डकप कुछ भी, सच्चे सटोरियों की खेल भावना से बिल्कुल अछूते नहीं रह सकते।
वर्डकप क्रिकेट की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं। दुनिया भर के खिलाड़ी नेट प्रेक्टिस में पिले पड़े हैं। इधर शातिर सटोरियों ने भी अपने जाल बिछाकर प्रेक्टिस शुरू कर दी है। पुलिस वालों ने अपने जाल खोलना चालू किये हैं या नहीं यह बात पूरी तौर पर ‘गुप्त’ है परन्तु वर्डकप के प्रथम मैच की पहली ईनिंग के साथ ही सटोरियों के वर्डकप की पहली ईनिंग भी शुरु हो जाएगी। आइये दोनों महान खेलों का खेल भावना से स्वागत करें।
एक मायने में क्रिकेट और सट्टा दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। इतने भयानक पूरक कि समझ में ही नहीं आता, क्रिकेट में सट्टा चल रहा है या सट्टे में क्रिकेट। खेल भावना दोनों में समान होती है।
सूने भवनों, सुनसान मैदानों, रहस्यमय गली-कूचों में ‘फड़’ खेलने वालों, या पुलिस की दबिश के दौरान घटिया होटलों के हर संभव निकास से कूद-कूद कर तीर की तरह भागते धुरंधर सटोरियों को खूब देखा है। वह किस्सा अब पुराना हुआ। किसी ज़माने के इस जोखिम भरे खेल का अब जबरदस्त रूप से सम्मानजनक रुपान्तरण हो गया है। अब बालकनियों से कूदकर पाँव तुड़वाने और पृष्ठ भाग पर पुलिस के डंडों की सुताई का खतरा बिल्कुल नहीं रहा, बल्कि पुलिस के पूर्ण संरक्षण में किसी भी गुप्त स्थान पर बैठकर आधुनिक गजेट्स के सहारे सटोरिये दुनिया का अपना कोई भी टुर्नामेंट सम्पन्न कर ले सकते हैं। गली-कूँचों से लेकर सभी तरह के घरू क्रिकेट, एक विकिट, दो विकिट टूर्नामेंट, टेस्ट क्रिकेट, ओ.डी.आई, ट्वेंटी-ट्वेंटी, काउंटी मैचेस और सबसे कमाऊ आयोजन वर्डकप कुछ भी, सच्चे सटोरियों की खेल भावना से बिल्कुल अछूते नहीं रह सकते।
वर्डकप क्रिकेट की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं। दुनिया भर के खिलाड़ी नेट प्रेक्टिस में पिले पड़े हैं। इधर शातिर सटोरियों ने भी अपने जाल बिछाकर प्रेक्टिस शुरू कर दी है। पुलिस वालों ने अपने जाल खोलना चालू किये हैं या नहीं यह बात पूरी तौर पर ‘गुप्त’ है परन्तु वर्डकप के प्रथम मैच की पहली ईनिंग के साथ ही सटोरियों के वर्डकप की पहली ईनिंग भी शुरु हो जाएगी। आइये दोनों महान खेलों का खेल भावना से स्वागत करें।