//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//
कुछ अनशनाभिलाशियों का एक जत्था अनशन करने की अनुमति लेने के लिए सक्षम अधिकारी के पास पहुँचा, सक्षम अधिकारी ने उन्हें बुलाकर पूछा - काहे अनशन करना चाहते हो रे तुम लोग ? जत्थे का नेता सामने आकर बोला- माईबाप, भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया है, इसलिए। अधिकारी बोला - भ्रष्टाचार बढ़ गया! यह किसने बताया तुम लोगों को ? नेता बोला- बताने की क्या बात है हुजूर, आपके चपरासी तक ने अन्दर आने देने के लिए हमसे दस-दस रुपये लिए हैं, कहता था कि वैसे तो आम जनता से और ज़्यादा लेते हैं, पर तुम लोग गाँधी जी के रास्ते पर चलने निकले हो, पता नहीं हाथ पॉव सलामत लेकर घर जाओ न जाओ, इसलिए दस रुपये में ही काम चला रहे हैं। अधिकारी हँसकर बोला- अच्छा अच्छा, बोलो कितने दिन की अनुमति चाहिए ? अनशनकारियों ने आपस में सलाह की और बोले-साहब, अनिश्चित काल की दे दो आप तो। सक्षम अधिकारी नाराज़ होकर बोला- अच्छा, ऐसे कैसे दे दो अनिश्चितकाल की! तुम्हारे बाप का राज है क्या ? और लोगों की भी तो अर्जियाँ पड़ी हैं, सबको अनशन करना है, तुम्ही को सारी दे दें तो फिर दूसरों को क्या देंगे ?
सबने मिलकर सलाह की और बोले ठीक है साहब, पन्द्रह दिन की दे दो। सक्षम अधिकारी ने न में मुंडी हिलाई तो जत्था बोला- ठीक है सात दिन की दे दो। सक्षम अधिकारी ने फिर न में मुंडी हिलाई, इस पर जत्थे का नेता बोला अच्छा तीन दिन की ही दे दो। सक्षम अधिकारी बोला- सिर्फ एक दिन की मिलेगी, बोलो लेना है तो लो। करना क्या है, साल भर भी अनशन करोगे तो भ्रष्टाचार खत्म होने वाला नहीं है, इससे अच्छा एक दिन शांतिपूर्वक अनशन करो और अपने-अपने घर जाओ।
अनशनकारियों ने आपसी सलाह करके हामी भरी और फिर हाथ जोड़कर खड़े हो गए। सक्षम अधिकारी ने सबको घूरते हुए देखा और कहाँ- लेकिन यह एक दिन की भी तब मिलेगी जब हमारी शर्ते मानी जाएँगी। सारे लोगों ने शर्तें सुनने के लिए अपने-अपने कान खड़े किये तब अधिकारी बोला- अनुमति सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन की है, काले धन के ऊपर कोई नारा नहीं लगाएगा। माँगों की सूची पर हमारा अनुमोदन आवश्यक है। हमारे सर्टीफाइड अनशनकारियों के अलावा कोई दूसरा आदमी अनशन स्थल पर बगैर इजाज़त घूमता पाया गया तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। महिलाएँ सिर्फ एक जोड़ी कपड़ों में बैठेंगी। कोई प्रेस, मीडिया वाला उधर न फटके इसकी जिम्मेदारी आपकी होगी। भ्रष्टाचार समर्थकों के हमले में यदि कोई घायल हुआ या प्रशासन को आप लोगों के हाथ-पॉव तोड़ना पड़े तो फर्स्ट-एड की व्यवस्था आपको करनी होगी। गंभीर एवं मरणासन्न मरीज़ों के इलाज, कफन-दफन का इंतज़ाम आप लोगों को अपने खर्च पर करना पडे़गा। इतना सुनने के बाद अनशनकारियों ने एक दूसरे की शक्ल देखी, सक्षम अधिकारी के पॉव छुए और चेम्बर के बाहर का रास्ता पकड़ते हुए कहा-हुजूर हमने अनशन का इरादा मुल्तवी कर दिया है, हमारी दरखास्त रद्द कर दी जाए। जयहिन्द।
चलिये इसी बहाने अनशन का सच और अनशनकारियों का सच भी सामने आ गया नही तो हमे डर ही था कि कहीं सच मे भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिये तो नही बैठ गये सब?
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया।
जवाब देंहटाएंदरखास्त तो अब रद्द हो ही गयी।
---------
हॉट मॉडल केली ब्रुक...
यहाँ खुदा है, वहाँ खुदा है...
क्या बात है, अंदाज अच्छा है।
जवाब देंहटाएंachchhi post...
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत के जिस शख्स ने हमारीवाणी.कॉम का नामकरण किया था उससे पहले उसने ही हमारीअंजुमन.कॉम का भी नामकरण किया था.
sharte mane bina anshan ka hashra sabko pata hai ab....badiya...
जवाब देंहटाएंक्या बात है....मजेदार व्यंग....
जवाब देंहटाएंअच्छा हुआ वापस लौट गए नहीं तो भ्रष्ट तरीके से भ्रष्टाचार के विरूद्ध आंदोलन होता....
mujhe hamesha lagta hai vyang likhna asan nahi hota .pr aap kisi bhi bat ko itni sahajta se likh dete hian ki kya kahen .aapki lekhni naman ke layak hai
जवाब देंहटाएंsaader
rachana
अनशन की आज की वास्तविकता , अब क्या कहें ?
जवाब देंहटाएंअनुमति के साथ एक डॉक्टर फ्री।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही अंदाज ! आज कल यही हो रहा है १सरकार अनसन को बान करने जा रही है ! भ्रष्टाचार जिंदाबाद !
जवाब देंहटाएं