//भगदड़ से मोक्ष की ओर-प्रमोद ताम्बट//
मोक्ष
भारतीयों का जागते हुए देखा जाने वाला एकमात्र स्वप्न होता है । होश सम्हालते ही
उसे अच्छी मौत मरने के लाभ के तौर पर मोक्ष का स्वप्न हाथ में थमा दिया जाता है
जहाँ का जीवन अल्टीमेट टाइप का होता है । सो मोक्ष की आकांक्षा में आदमी अच्छी
से अच्छी मौत मरना चाहता है। संतों ने मरने के स्थान काल के बारे में भी घोषणाएँ
की हुई हैं जैसे गंगा की गोद में डूब मरना अथवा उत्तरायण काल की मौत बेहद शुभ
होती है आदि-आदि । मौत अगर गंगा किनारे बारह साल के अन्तराल पर आने वाले कुंभ के
पावन अवसर पर मची भगदड़ में बुरी तरह कुचल कर हुई हो तो कहना ही क्या। सीधे मोक्ष
का वी.वी.आई.पी. सूइट मिलना तय है। और उस सूइट में संतों द्वारा घोषित
सुख-सुविधाएँ अंगूर के गुच्छे, सुरा-सुंदरी
और तमाम ऐयाशी तो फिर हैये ही हैये। एक आम भारतीय को और क्या चाहिए ।
इधर
अमीर-गरीब सब लोग मोक्ष की आकांशा में लाखों रुपये खर्च करके ना जाने क्या-क्या
कर्मकांड कराते हैं। तमाम पूजा-पाठ, यज्ञ-हवन,
ब्राह्मण
भोज, दान-दक्षिणा
आदि-आदि में पूरा जीवन व्यतीत कर देते हैं । उसके बाद भी मोक्ष की फ्लाइट मिले न
मिले कोई भरोसा नहीं होता। लेकिन यदि कुंभ की भगदड़ में मौत हुई हो तो मोक्ष की फ्लाइट
का टिकट लेने की भी कोई ज़रूरत नहीं । उस स्पेशल चार्टर्ड फ्लाइट में ऑटोमेटिक
रिजर्वेशन होता है। भगदड़ में कुचले नहीं कि सीधे फ्लाइट की आरामदेह सीट पर और फ्लाइट
के क्रू की सुन्दरियाँ भी बिना टिकट की पूछताछ किए सीधे मोक्ष के द्वार पर छोड़
आतीं हैं। मोक्ष के द्वार पर भी कोई पूछताछ नहीं सीधे वी.वी.आई.पी. सूइट के डबल
बेड पर सुवासित गुलाब की पंखुड़ियों के बिस्तर पर। मैंने तो यहाँ तक भी सुना है कि
ऐसे कुंभ में कुचल कर मरे लोगों को तो परमात्मा सर से मिलने के लिए भी इंतज़ार
नहीं करना पड़ता। अक्सर वे उनके वी.वी.आई.पी. सूइट के सोफे पर ही भगदड़ में कुचली
आत्मा का इंतज़ार करते मिलते हैं, और
पहुँचते ही मिसमिसा कर गले लगा लेते हैं। वे एक ही वक्त में हर सुइट में विराजमान
होकर आनेवाली आत्मा से मिल लेते हैं।
हालिया
कुंभ भगदड़ के बाद कई मोक्ष के आकांक्षिओं को बेहद अफ़सोस हुआ होगा कि हाय हम
क्यों न हुए भगदड़ में कुचल कर मरने के लिए। फोकट में मोक्ष पहुँचने का सुनहरा अवसर
हाथ से निकल गया। संतों ने जब से भगदड़ में कुचल कर मरने वालों की मोक्ष में जगह
को कन्फर्म किया है लोग कुंभ में जाने के लिए मरने-खपने को तैयार हुए बैठे हैं। एक
और समस्या सामने आने की संभावना है। लोग दस-बीस गुणे तादात में कुंभ की और कूच कर
सकते हैं । क्या मालूम अगली भगदड़ कब मच जाए और मोक्ष की फ्लाइट में जगह मिल जाए।
कुंभ
प्रबंधन को चाहिए की मोक्ष आकांक्षिओं के लिए कुंभ पहुँचने के लिए विशेष सुविधाओं
का इंतज़ाम करे और उन्हें भगदड़ में मरने का पूरा मौका दे। यदि अपने-आप कोई भगदड़
नहीं मचती है तब भगदड़ मचाने का व्यापक इंतज़ाम करें बल्कि समय-समय पर भगदड़ मचाए और
सुरक्षा के कोई इंतज़ाम रखने की गुस्ताखी न करें ताकि हम जैसे लाखों फोकटिये
मोक्ष के आकांक्षी आसानी से भगदड़ में कुचलकर मोक्ष का सुख भोग सकें। कभी कभार ही
तो ऐसा अद्भुत योग आ पाता है कि आदमी बिना किसी प्रयास के मोक्ष की ओर निकल जाए।
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