मंगलवार, 4 मार्च 2025

ट्रम्प क्यों कपड़े फाड़ रहा है

//व्‍यंग्‍य-प्रमोद ताम्‍बट// 

देखा आपने, ट्रम्प आजकल किस कदर कपड़े फाड़ रहा है? और कुछ फाड़ता तो समझ में आता मगर खुद आप अपने कपड़े फाड़ रहा है यह बड़ी ताज्जुब वाली बात है। चाहता तो काग़ज़ फाड़ लेता, कॉपी-किताब फाड़ लेता, किसी ओर के नाम का बिल फाड़ लेता, दरी-चादर, रज़ाई-गद्दे-तकिये फाड़ लेता, वाइट हाउस के ऊँचे-ऊँचे परदे फाड़ लेता मगर ऐसा क्या हो गया कि अगला अपने खुद के कपड़े फाड़ने पर उतारू है।

एक बात लेकिन ग़ज़ब हो रही है। कपड़े वह अपने फाड़ रहा है और उसकी इस नितांत निजी कार्यवाही के फलस्‍वरूप  नंगा कोई और ही हो रहा है। होना यह चाहिए था कि नग्नता उसकी खुद की सामने आना चाहिए थी लेकिन वह तो कम्बख़्त हमाम में भी सूट-बूट डाटे डायस के पीछे खड़ा होकर प्रेस कान्‍फ्रेंस पर प्रेस कांफ्रेंस किये जा रहा है और नंगा किसी और को होना पड़ रहा है। यह सरासर मानवाधिकार हनन का मामला है नग्‍नता बचाओ नग्‍नता छुपाओ संस्‍थाओं ने इसका संज्ञान लिया जाना चाहिए।

वैश्विक चिंता की बात यह है कि वह यदि अपने कपड़े फाड़ना मुल्तवी कर के इधर नंगे  हो रहे महानुभाव के ही कपड़े फाड़ना शुरू कर दे तो क्या होगा? एक नई कहावत अस्तित्व में आ जाएगी- नंगे के कपड़े फाड़ना। यह एक नया राजनीतिक समीकरण टाइप बन गया लगता है जिसका भावार्थ यह है कि नंगों के बदन पर भी लकदक कपड़े होते हैं जिसे कोई भी दूसरा छिछोरा व्यक्ति ख़ुद अपने कपड़े फाड़कर निर्वस्त्र कर सकता है।

हमारे यहाँ तो लोग अपनी खुद की शादी में जो सूट सिलवाते हैं उसे बेटे की शादी तक में रगड़ते हैं लेकिन ट्रम्प की दरियादिली देखिए नवे-नकोरे इतने महँगे-महँगे रेमंड के सूट (माफ कीजिए लेखक को एक इसी ब्रांड का नाम पता है ) जो उसने हाल ही में शपथ ग्रहण समारोह के ठीक पहले सिलवायें थे, इस तरह बेदर्दी से चर-चर करके फाड़ रहा है। शर्म यहाँ भारत में हमको आ रही है, क्योंकि नंगा तो हमारा आदमी हो रहा है। ख़ुद अपने कपड़े फाड़ कर ख़ुद नंगा होये या हमारे दुश्मनों को नंगा करे, हमारे विरोधियों को नंगा करे, अजी चाहे तो हमारे दोस्तों को भी नंगा कर ले तब भी हमें कोई परेशानी नहीं, मगर ट्रम्प तो एक तरह से हमी को नंगा करने पर उतारू है भले ही कपड़े अपने खुद के फाड़ रहा है।

हमें आशंका है कि ट्रम्प अभी और कपड़े फाड़ेगा। अपने सारे सूट, पैंट-शर्ट यहाँ तक कि कच्छे बानियान तक फाड़ लेगा क्योंकि उसे पता है कि हम अभी और नंगे हैं। हमें डर है कि हमारी नंगाई को सरे आम करने के लिए कहीं वह अपनी खाल ही न फाड़ ले क्योंकि कपड़ों के बाद तो फिर खाल ही का नम्‍बर आता है फाड़ने के लिए। और अगर उसने अपनी खाल फाड़ ली तो कसम से हम कहीं मुँह दिखाने के लायक भी रहेंगे या नहीं कह नहीं सकते। क्‍योंकि उसने अगर अपनी खाल फाड़ी तो हमारी सौ साल से चली आ रही नग्‍नता के दर्शन न हो जाएँ यह हमारी सबसे बड़ी चिंता है।

यह हमारा दुर्भाग्‍य है कि हमारे पास न तो यह हुनर है न ही ऐतिहासिक बाध्‍यता कि कपड़े हम अपने फाड़े और नंगा ट्रंप हो जाए। कपड़े हम अपने फाड़ें और नंगा अमरीकी प्रशासन हो जाए। कपड़े हम अपने फाड़ें और नंगा अमरीकी साम्राज्‍यवाद हो जाए। क्‍योंकि यह हमारे खून में ही नहीं रहा कभी। हम हमेशा से साम्राज्‍यवाद की चिरोरी चमचागिरी के आदी हैं। हमारे बदन पर साम्राज्‍यवादी तमगों की भरमार है हम अपने कपड़े फाड़ें तो कैसे फाड़ें ? हमने ट्रंप का नमक खाया है।

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